2 /4 शिवपुराण में मिलता है शंखचूड़शिवपुराण के अनुसार शंखचूड नाम का एक महापराक्रमी दैत्य था। शंखचूड दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दैत्यराज दंभ की कोई संतान नहीं थी तब उसने संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की। तप से प्रसन्न होकर विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने दंभ से वर मांगने के लिए कहा तब दंभ ने तीनों लोकों के लिए अजेय महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा। श्रीहरि तथास्तु कहकर अंतर्धान हो गए। इसके बाद दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंखचुड ने पुष्कर में ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया। तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मदेव ने वर मांगने के लिए कहा। तब शंखचूड ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रह्माजी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्णकवच दिया।सावन का दूसरा सोमवार 13 जुलाई, जानें कितने प्रकार के होते हैं शिवलिंग
Source: Navbharat Times July 12, 2020 12:22 UTC