क्यों बनाया जा रहा गोल्ड एक्सचेंज गोल्ड एक्सचेंजेस बनाने के पीछे मकसद भारत को प्राइस टेकर के बजाय प्राइस सेटर के तौर पर स्थापित करना है। साथ ही एक होम ग्रोन गोल्ड डिलीवरी स्टैंडर्ड तैयार करना भी है, जैसा कि गोल्ड बार के लिए लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन है। गोल्ड बार या तो बीआईएस या फिर एलबीएमए द्वारा प्रमाणित होती हैं। सेबी का कहना है कि गोल्ड की खपत के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद भारत अभी भी ग्लोबल मार्केट्स में प्राइस टेकर बना हुआ है। प्रस्तावित गोल्ड एक्सचेंज गोल्ड ट्रांजेक्शंस में पारदर्शिता लाएगा और आगे चलकर भारत को गोल्ड के लिए प्राइस सेटर के तौर पर उभरने में सक्षम बनाएगा।ट्रेडिंग के रहेंगे तीन चरण पहले चरण में एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर गोल्ड (स्थानीय तौर पर मैन्युफैक्चर्ड या आयातित) की डिलीवरी की इच्छा रखने वाली एंटिटी को सेबी रेगुलेटेड वॉल्ट मैनेजर को अप्रोच करना होगा और फिजिकल गोल्ड डिपॉजिट करना होगा। यह गोल्ड तय क्वालिटी और क्वांटिटी पैरामीटर्स पर खरा उतरना चाहिए। इसके बाद दूसरे चरण में वॉल्ट मैनेजर एक ईजीआर जारी करेगा, जो एक्सचेंजेस पर ट्रेडबल होगा। तीसरे चरण में लाभार्थी ओनर वॉल्ट मैनेजर को ईजीआर सरेंडर कर गोल्ड की डिलीवरी पा सकेगा।कॉमन इंटरफेस और इंटरऑपरेबिलिटी वॉल्ट मैनेजर्स, डिपॉजिटरीज, क्लियरिंग कॉरपोरेशंस और स्टॉक एक्सचेंजेस के बीच एक कॉमन इंटरफेस विकसित किया जाएगा ताकि तीनों चरण बिना किसी रुकावट के पूरे हो सकें। इसके अलावा इंटरऑपरेबिलिटी भी होगी, जिसके तहत किसी एक लोकेशन पर किसी एक वॉल्ट मैनेजर को डिपॉजिट किया गया गोल्ड, किसी दूसरी लोकेशन पर उसी वॉल्ट मैनेजर या अन्य वॉल्ट मेनेजर के साथ विदड्रॉ किया जा सके। यह फिजिकल गोल्ड की उपलब्धता पर निर्भर करेगा और इससे खरीदारों के लिए लागत घटेगी। हालांकि ईजीआर की ट्रेडिंग पर सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स और डिलीवरी पर आईजीएसटी देय होगा।
Source: Navbharat Times May 18, 2021 05:42 UTC