शहर का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है भंडारीपारा वार्ड, नदी तट पर पिचिंग बेहद जरूरी - News Summed Up

शहर का सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित है भंडारीपारा वार्ड, नदी तट पर पिचिंग बेहद जरूरी


कांकेर | आपका वार्ड आपकी बात के तहत भास्कर ने भंडारीपारा वार्ड का जायजा लिया। यहां पानी, नाली, सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं नजर आई। यहां की सबसे बड़ी समस्या सड़क को लेकर है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत शीतलापारा तालाब के सामने से ग्राम घोटिया तक सड़क बनी है जो बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है। पथर्रीपारा जाने मार्ग और मारादेव तालाब के पास सड़क पर तो इतने गड्ढे हैं की यहां चलना मुश्किल है। बारिश में तो स्थिति अत्यंत गंभीर हो जाती है। नदी तट पर एक किमी तक पिचिंग निर्माण की मांग की जा रही है। दूधनदी के किनारे बसा यह इलाका शहर का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित वार्ड है। लोक सुराज में पार्षद और वार्डवासियों ने नदी तट पर पिचिंग की मांग को लेकर 25 आवेदन दिए थे लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई। वार्ड में सार्वजानिक शौचालय नहीं है। वार्ड में संपवेल भी नहीं होने से यहां पानी की समस्या गंभीर है।वार्ड की तस्वीरवार्ड की आबादीमतदातामकानकिराना व्यवसायी देवेश यादव ने कहा कि वार्ड के नदी तट पर पिचिंग होना चाहिए क्योंकि इसके अभाव में कटाव बढ़ता जा रहा है। सभी वार्डों में सार्वजानिक शौचालय बने हैं लेकिन यहां नहीं बन पाया है। वार्ड में कचरा गाड़ी भी सभी जगह नहीं पहुंच रही है जिससे नदी तट पर खुले में लोग गंदगी फेंक रहे हैं। नल में टोटी नहीं होने और पाइपलाइन में लीकेज होने से पानी व्यर्थ बहता रहता है।1. क्या आपके मोहल्ले में समय से पीने का पानी आता है?65%लोगों ने कहा- नहींबातें जो वार्ड के लोग चाहते हैंसुनीता यादव, पार्षद, भंडारीपारावार्ड में तीन आंगनबाड़ी केंद्र हैं लेकिन तीनों के भवन नहीं बन पाने से किराए के छोटे-छोटे कमरों में चल रहे हैं। वार्ड के होमेंद्र यादव ने कहा कि आंगनबाड़ी भवन नहीं होने से बच्चों को बेहद परेशानी होती है। खराब सड़कों की भी मरम्मत करना चाहिए। सेवनिवृत्त कर्मचारी चित्रसेन गिरी ने कहा कि वार्ड में नालियों की बेहतर ढंग से सफाई नहीं हो पा रही है। 15-20 दिन एक बार नालियों की सफाई होती है।लोगों ने कहा- हां35%2. क्या रोजाना सफाई कर्मी आपके घर के सामने झाड़ू लगाते हैं?सफाईकर्मीकचरा गाड़ीपानी टंकीवार्ड में दो तालाब हैं लेकिन दोनों ही प्रदूषित हो चुके हैं। मारादेव तालाब में तो गर्मी के मौसम में पानी सूख जाता है। पचरी भी क्षतिग्रस्त हो गई है। तालाब में पहुंचने वाली नाली पट चुकी हैं। मनकेशरी मार्ग पर बनी नाली भी पट गई है। कचरा गाड़ी सभी गलियों तक नहीं पहुंचती है। शीतलापारा से पथर्री पारा मार्ग के आधे भाग में स्ट्रीट लाइट नहीं लग पाई है। यहां भी भालू आए दिन पहुंचते रहते हैं।ये हैं चुनौतियां55%लोगों ने कहा- नहीं45%लोगों नेकहा- हां


Source: Dainik Bhaskar November 18, 2019 01:41 UTC



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