विवाहेतर संबंध पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में समझें - News Summed Up

विवाहेतर संबंध पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में समझें


विवाहेतर संबंध पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला, सिर्फ 10 प्वाइंट्स में समझेंनई दिल्ली (जेएनएन)। अब से विवाहेतर संबंध यानी Extramarital affairs अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्त्री और पुरुष के विवाहेतर संबंधों से जुड़ी भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 497 को अपराध के दायरे से बाहर करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि पत्नी का मालिक नहीं है पति। कोर्ट ने धारा 497 को महिला के सम्मान के खिलाफ बताया। एेसे समझिए, अडल्टरी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला-1. 497 महिला के सम्मान के खिलाफसुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि आइपीसी की धारा 497 महिला के सम्मान के खिलाफ है। कोर्ट ने कहा कि महिलाओं को हमेशा समान अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि महिला को समाज की इच्छा के हिसाब से सोचने को नहीं कहा जा सकता। संसद ने भी महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा पर कानून बनाया हुआ है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली इस बेंच ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की खूबी ही मैं, तुम और हम की है।2. महिला के यौन इच्छाओं को रोकता है कानूनजस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में अडल्टरी कानून को मनमाना बताया। उन्होंने कहा कि यह महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है। अडल्टरी कानून महिला की यौन इच्छाओं को रोकता है और इसलिए यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि महिला को शादी के बाद यौन इच्छाओं से वंचित नहीं किया जा सकता है।6. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की दलीलइससे पहले 8 अगस्त को हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि अडल्टरी अपराध है और इससे परिवार और विवाह तबाह होता है।7. धारा-497 पुरुषों के साथ भेदभाव वाला कानूनयाचिका में कहा गया था कि आईपीसी की धारा-497 के तहत जो कानूनी प्रावधान हैं वह पुरुषों के साथ भेदभाव वाला है। आपको बता दें कि अडल्टरी के मामले में पुरुषों को दोषी पाए जाने पर सजा दिए जाने का प्रावधान है जबकि महिलाओं को नहीं।9.


Source: Dainik Jagran September 27, 2018 06:20 UTC



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