50 मेगाटन क्षमता का था रूसी परमाणु बम इवान रूस का यह इवान परमाणु बम विस्फोट दुनिया में अब तक हुए परमाणु विस्फोटों में सबसे शक्तिशाली है। यह करीब 50 मेगाटन का था और यह 5 करोड़ टन परंपरागत विस्फोटकों के बराबर ताकत से फटा था। इस परमाणु बम को रूसी विमान ने आर्कटिक समुद्र में नोवाया जेमल्या के ऊपर बर्फ में गिराया था। इस महाविनाशक परमाणु बम को प्रोग्राम izdeliye 202 के तहत बनाया गया था। बाद में जब इस परमाणु बम के बारे में पश्चिमी दुनिया को पता चला तो इसका नाम 'Tsar Bomba' कर दिया गया। 20 अगस्त को रूस के रोस्तम स्टेट अटॉमिक एनर्जी कॉर्पोरेशन ने अपने यू्ट्यूब चैनल पर 30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने अपने परीक्षण के जरिए शानदार तकनीकी उपलब्धि हासिल की।विस्फोट का खौफ, सैकड़ों मील दूर से बनाया वीडियो इस महाविनाशक परमाणु बम का खौफ इतना ज्यादा था कि कैमरों को सैकड़ों मील की दूरी पर लगाया गया था। साथ ही उन्हें लो लाइट पोजिशन में रखा गया था ताकि वे परमाणु विस्फोट की चमक में 'अंधे' न हो जाएं। इन शक्तिशाली कैमरों ने करीब 40 सेकंड तक आग के गोले का वीडियो बनाया और उसके बाद यह मशरूम के बादल के रूप में बदल गया। इस विस्फोट स्थल से 100 मील की दूरी पर स्थित एक विमान ने मशरूम के आकार के गुबार का वीडियो बनाया। यह करीब 213,000 फुट की ऊंचाई तक गया था। इस विस्फोट के फुटेज को रूस ने करीब 6 दशक तक टॉप सीक्रेट रखा था लेकिन अब रोस्तम के 75 साल पूरे होने पर उसे जारी किया है।दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम है रूस का जॉर बॉम्बा रूस की सेना ने Tsar Bomba को RDS-220 नाम दिया था। यह दुनिया में बनाया गया सबसे बड़ा परमाणु बम है। इसे उस समय बनाया गया था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच कोल्ड वॉर अपने चरम पर था। सोवियत संघ ने अमेरिका के थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस को टक्कर देने के लिए इस इवान नामक परमाणु बम का निर्माण किया था। वर्ष 1954 में अमेरिका ने अपने सबसे बड़े थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस का मार्शल आईलैंड पर परीक्षण किया था। यह डिवाइस 15 मेगाटन का था। इसका नाम कास्टल ब्रावो था। यह उस समय के सभी परमाणु बमों से ज्यादा ताकतवर था। इसकी सूचना जब सोवियत संघ को लगी तो उसने अमेरिका को टक्कर देने की ठानी।रूस ने अमेरिका से तीन गुना ज्यादा ताकतवर बम बनाया सोवियत संघ ने अमेरिका को जवाब देने के लिए मात्र 7 साल के अंदर दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु बम बना डाला। इस परमाणु बम को पहले ट्रेन के जरिए ओलेन्या एयरबेस ले जाया गया जहां से उसे लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम Tu-95 पर लादा गया। 30 अक्टूबर को इस बॉम्बर ने उड़ान भरी और करीब 600 मील की यात्रा करके सेवेर्नी द्वीप पहुंचा। यह द्वीप आर्कटिक के काफी अंदर है। बॉम्बर ने बम को गिरा दिया जिसमें एक पैराशूट लगा हुआ था। इससे बम धीरे-धीरे धरती पर गिरा और विमान को इतना समय मिल गया कि वह विस्फोट की जद में नहीं आ सका। जब यह बम जमीन से करीब 13 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंच गया तब उसमें विस्फोट कर दिया गया।इतिहास में इंसान की ओर से किया गया सबसे बड़ा धमाका यह विस्फोट इतना भयानक था कि इसे इंसान की ओर से किया गया सबसे बड़ा धमाका कहा गया। अगर इस बम को दिल्ली जैसे अगर किसी शहर में किया जाता तो पूरी शहर ही राख के ढेर में बदल जाता। दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर लोग बुरी तरह से जल जाते। इस विस्फोट से रिक्टर पैमाने पर 5 की तीव्रता का भूकंप आता और इसे दुनियाभर में महसूस किया जाता। इस विस्फोट को पाकिस्तान तक देखा जाता और वहां तक रेडियोधर्मी असर पड़ सकता था। इस विस्फोट के बाद अमेरिका और रूस ने वर्ष 1963 में एक संधि पर हस्ताक्षर किया। इसके बाद दोनों देशों ने हवा में परमाणु बम के परीक्षणों पर रोक लगा दी। इसके बाद दोनों देशों ने जमीन के अंदर परमाणु परीक्षण शुरू किया। अमेरिका ने सोवियत संघ से बड़ा परमाणु बम बनाए जाने की बजाय छोटे परमाणु बम बनाने पर जोर दिए ताकि उन्हें मिसाइलों में फिट किया जा सके।
Source: Navbharat Times August 27, 2020 04:42 UTC