रूस, चीन और सऊदी: अगर ट्रंप हारे तो क्या होगा दुनिया के इन देशों पर असर? जानें यहां - News Summed Up

रूस, चीन और सऊदी: अगर ट्रंप हारे तो क्या होगा दुनिया के इन देशों पर असर? जानें यहां


रेचप तैय्यप एर्दोगन कहा जाता है कि यदि कोई राजनीतिक संरक्षण के लिए ट्रंप पर मोहम्मद बिन सलमान से ज्यादा निर्भर करता है तो वह तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन हैं। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) के सहयोगी होने के बाद भी तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है। ऐसे में यूएस कांग्रेस ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की थी, लेकिन ट्रंप ने इसे लागू करने से मना कर दिया था। अपने व्यक्तिगत संबंधों से ही उन्होंने ट्रंप को सीरिया के कुर्द क्षेत्रों से अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने के लिए मनाया था ताकि तुर्की उन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर सके। ट्रंप ने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई में पेंटागन या अमेरिकी सहयोगियों से सलाह किए बिना ही यह निर्णय लिया था। जबकि इसमें ब्रिटेन, फ्रांस और कुर्द लड़ाके भी शामिल थे।मोहम्मद बिन सलमान ट्रंप ने 2017 में अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए सऊदी अरब को चुना था। ट्रंप के नेतृत्व में वॉशिंगटन और रियाद के रिश्ते तेजी से मजबूत हुए। खासकर जब ट्रंप ने ईरान के ऊपर नए प्रतिबंधों का ऐलान किया तो इससे सऊदी अरब को काफी फायदा पहुंचा। जमाल खशोगी की हत्या के मामले में जब अमेरिकी संसद ने मोहम्मद बिन सलमान के ऊपर प्रतिबंध लगाने की संतुस्ति की तो उसे ट्रंप ने वीटो कर दिया। वहीं, बाइडेन के आने से ईरान के साथ अमेरिका नई डील कर सकता है। इससे सबसे ज्यादा नुकसान सऊदी अरब को ही होगा। बाइडेन मानवाधिकार के मुद्दे पर भी मुखर रहे हैं। ऐसे में अगर मोहम्मद बिन सलमान के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी।शी जिनपिंग हाल के दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक हैं। वह चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ा रहे हैं। जबकि उसके सभी दुश्मन देशों को हथियार और खुफिया सूचना भी उपलब्ध करवा रहे हैं। फिर भी चीनी अधिकारियों ने कहा कि संतुलन के कारण उनका नेतृत्व ट्रंप को ही राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहता है। अमेरिका फर्स्ट नीतियों का पालन करने के चक्कर में ट्रंप ने अपने देश को कई महत्वपूर्ण संस्थाओं से अलग कर लिया है। जिससे बनी खाली जगह को चीन ने भरा है। चाहें वह व्यापार हो या जलवायु परिवर्तन या फिर विश्व स्वास्थ्य संगठन। जहां-जहां अमेरिका कमजोर पड़ा है वहां-वहां चीन मजबूत हुआ है। ऐसे में बाइडेन के आने से चीन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। बाइडेन के बारे में कहा जाता है कि वे चीन पर दबाव बनाने के लिए अधिक समन्वित अंतरराष्ट्रीय मोर्चा बनाने की कोशिश करेंगे।


Source: Navbharat Times November 04, 2020 13:23 UTC



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