Dainik Bhaskar Feb 09, 2019, 11:16 AM IST2006 में अनिल अंबानी देश के तीसरे बड़े अमीर थे, उनकी संपत्ति बड़े भाई मुकेश से 550 करोड़ रु ज्यादा थीआज अनिल की 7 कंपनियों का कुल मार्केट कैप सिर्फ 21 हजार करोड़ रु, मुकेश की आरआईएल का वैल्यूएशन ही 8.17 लाख करोड़अहमदाबाद. उद्योगपति स्व. धीरूभाई हीराचंद अंबानी ने टेक्सटाइल से लेकर ऑयल रिफाइनरी उद्योग की स्थापना कर इतिहास रच दिया। उनके निधन के बाद वर्ष 2005 में उनके दोनों बेटों ने अपने पराक्रम से 1 लाख करोड़ के औद्योगिक साम्राज्य को दो हिस्सों में बांटने का निर्णय लिया। उस दौरान किसी ने यह कल्पना नहीं की थी कि मुकेश अंबानी का औद्योगिक साम्राज्य डेढ़ दशक में सोलह गुना बढ़ जाएगी और अनिल अंबानी दिवालिया हो जाएंगे।दोनों भाईयों की संपत्ति में अब 7.97 लाख करोड़ रु का अंतरवर्ष 2005 में रिलायंस के बंटवारे के बाद अनिल और मुकेश की संपत्ति लगभग बराबर थी, पर अब दोनों की संपत्ति में 7.97 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। दूसरी ओर बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी की वेल्थ लगातार बढ़ती रही है और उनकी गिनती दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में हो रही है।2006 में अनिल की संपत्ति मुकेश से 550 करोड़ ज्यादा थी2005 में एक लाख करोड़ रुपए के औद्योगिक साम्राज्य का दो हिस्सों में बंटवारा होने के दूसरे साल यानी 2006 में अनिल अंबानी, लक्ष्मी मित्तल और अजीम प्रेमजी के बाद देश के तीसरे बड़े अमीर थे। बड़े भाई मुकेश अंबानी से अनिल की संपत्ति 550 करोड़ रुपए ज्यादा थी।अनिल की कंपनी दिवालिया होने की कगार परहाल ही में अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (एडीएजी) की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने दिवालिया घोषित करने के लिए एक अर्जी दी है। इसके बाद उसके शेयर के भाव ऑलटाइल हाई 844 रुपए से गिरकर 5.19 रुपए के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। एडीएजी की इस गिरावट से रिलायंस कम्युनिकेशंस के निवेशकों ने 1.60 लाख करोड़ रुपए की पूंजी खो दी है। अंबानी परिवार को बिजनेस का पर्याय माना जाता है।ये है धीरूभाई अंबानी के दोनों बेटों के उठने-गिरने की कहानी...कंपनी की स्थापना और दोनों बेटेधीरूभाई अंबानी ने 15 हजार रुपए की मामूली पूंजी से टेक्सटाइल कंपनी स्थापित की थी। कंपनी की स्थापना से एक साल पहले 1957 में मुकेश का जन्म हुआ था। कंपनी स्थापित करने के दूसरे साल अनिल का जन्म हुआ। पातालगंगा पेट्रोकेमिकल प्लांट लगाने के लिए मुकेश अंबानी स्टेनफर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई छोड़कर 1981 में पिता के साथ जुड़ गए थे। उस समय उनकी उम्र 24 साल थी। जबकि अमेरिका से एमबीए की पढ़ाई करने वाले अनिल अंबानी 1983 में कॉ-चीफ ऑफिसर के रूप में रिलायंस से जुड़े। उस समय अनिल की उम्र 24 साल थी।रिलायंस में मुकेश-अनिल का सफररिलायंस में जुड़ने के बाद मुकेश अंबानी ने रसिकभाई मेस्वामी के साथ काम शुरू किया था। रसिकभाई रिलायंस समूह के सह-संस्थापक और उस समय एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। मुकेश अंबानी रोजाना रसिकभाई को रिपोर्ट देते थे और उनके आदेशानुसार ही काम करते थे। 1985 में रसिकभाई के निधन के एक साल बाद सन् 1986 में धीरूभाई को पहला आर्ट अटैक आया था। इसके बाद रिलायंस की पूरी जिम्मेदारी मुकेश और अनिल पर आ गई। फिर मुकेश ने रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड (बाद में रिलायंस कम्युनिकेशन) की स्थापना की थी।धीरूभाई का निधन और विवाद6 जुलाई 2002 को हार्ट अटैक से धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया। यह घटना केवल अंबानी परिवार ही नहीं बल्कि रिलायंस ग्रुप के लिए भी बड़ा झटका था। क्योंकि धीरूभाई ने बिजनेस के बंटवारे के लिए कोई वसीयत नहीं लिखी थी। धीरूभाई के निधन के बाद कामकाज को लेकर मुकेश और अनिल के बीच विवाद बढ़ने लगा। रिलायंस के कंट्रोल के लिए दोनों भाई आमने-सामने आ गए। रिलायंस के एक एन्युअल रिपोर्ट के कवर में धीरूभाई और मुकेश की फोटो थी। इसमें अनिल की फोटो नहीं थी। वर्ष 2005 में यह पूरा मामला सामने आया। बात बिगड़ने पर मुकेश अंबानी ने रिलायंस के सभी कर्मचारियों को ई-मेल किया। जिसमें लिखा था कि धीरूभाई की विरासत को लेकर कोई भ्रम नहीं है। आरआईएल से जुड़े सभी मामलों में मुकेश अंबानी एकमात्र अथॉरिटी हैं।'व्यक्तित्व, स्वभाव में विरोधाभासमुकेश अंबानी गंभीर और योजना-आधारित तरीके से काम करने में विश्वास करते हैं। वे बड़ी परियोजनाओं में पूरी डिटेल के साथ काम करते हैं। जामनगर में 15 हजार करोड़ के रिलायंस पेट्रोलियम प्लांट की स्थापना में मुकेश का सबसे बड़ा योगदान रहा है। दूसरी ओर अनिल अंबानी हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल और आधुनिक तौर-तरीकों में विश्वास करते हैं। देश के कैपिटल मार्केट का पहला श्रेय अनिल को दिया जाता है। अनिल अंबानी फिटनेस को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। वे सहारा ग्रुप, अमिताभ, मुलायम और अमर सिंह जैसी हस्तियों के काफी निकट हैं। इसी वजह से वे राज्यसभा सदस्य भी बने थे।राम-लक्ष्मण की जोड़ी टूट गईमुकेश और अनिल की तुलना राम-लक्ष्मण के रूप में होती थी। धीरूभाई के निधन के बाद बढ़ते विवाद के कारण दोनों के बीच बातचीत बंद हो गए। धीरे-धीरे अनिल अंबानी रिलायंस एनर्जी और रिलायंस कैपिटल तक सीमित हो गए। 27 जुलाई 2004 को आरआईएल की बोर्ड मीटिंग में रिलायंस ग्रुप से जुड़े सभी आर्थिक निर्णय लेने के अधिकार मुकेश को सौंपे गए। अनिल अंबानी ने चार पेज का पत्र लिखकर इसका कड़ा विरोध भी किया था। आखिरकार 2005 में रिलायंस के बंटवारे की योजना बनाई गई। फ्लैगशिप रिलायंस इंडस्ट्रीज की सत्ता मुकेश को सौंपी गई। पेट्रोकेमिकल, ऑयल और गैस रिफाइनरी तथा टैक्सटाइल मुकेश के हिस्से में आया। जबकि अनिल अंबानी की कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी (एडीएजी) के हिस्से में टेलिकॉम, पावर, एन्टरटेनमेंट और फायनांसियल आए।बड़े भाई मुकेश की लंबी छलांगमुकेश अंबानी चीन के अलीबाबा ग्रुप के मालिक जैक मान को पीछे छोड़ते हुए एशिया में सबसे अमीर बन गए हैं। मुकेश अंबानी ने जियो लांच करके देश में नई इंटरनेट क्रांति लाई है। रिलायंस इंडस्ट्रीज भी 100 अरब डॉलर क्लब में शामिल हो गई है। ब्लूमबर्ग बिलियोनर्स इंडेक्स
Source: Dainik Bhaskar February 09, 2019 01:41 UTC