यह मामला शीश का भी है और दिलों का भी- कुमार विश्वास की व्यंग्य शृंखला - Dainik Bhaskar - News Summed Up

यह मामला शीश का भी है और दिलों का भी- कुमार विश्वास की व्यंग्य शृंखला - Dainik Bhaskar


मुझे याद आ रहा है कुछ ऐसा कहा था तुमने।’ मुझे याद था, ‘हां हाजी! कहा तो मैंने तब ही था कि देश की एकता की खिलाफत करने वाले इन तमाम तथाकथित नेताओं को काहे को सुरक्षा? बल्कि देश को ही इनसे खतरा है। इनकी सुरक्षा वापस लेने का काम तो बहुत पहले हो जाना चाहिए था। और वो मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा था। क्यों जरूरत है उसकी भई? ऐसा क्या है पाकिस्तान में जो इस पार नहीं आएगा तो हमारी जान को आफत हो जाएगी? एक बार सोच-समझकर ऐसा कदम उठा ही लिया जाना चाहिए कि दुनिया भर को संदेश चला जाए कि हम इतने आसान नहीं हैं जैसा कुछ लोग समझने की गलती करते रहे हैं। बस यही है कि सबका ध्यान रखकर फैसला लेना होगा। मामला शीश का भी है और दिलों का भी। उदय प्रताप जी का शेर सुनाते हो न तुम‘सब फैसले होते नहीं सिक्के उछाल केये दिल के मामले हैं, जरा देख भाल के’


Source: Dainik Bhaskar February 17, 2019 21:14 UTC



Loading...
Loading...
  

Loading...

                           
/* -------------------------- overlay advertisemnt -------------------------- */