मोहन भागवत ने कहा, अगले लोकसभा चुनाव में भी राममंदिर रहेगा मुद्दा - News Summed Up

मोहन भागवत ने कहा, अगले लोकसभा चुनाव में भी राममंदिर रहेगा मुद्दा


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर कोई यह समझ रहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण भाजपा के एजेंडे से बाहर हो गया है तो गलत है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इसके साफ संकेत दिये। अयोध्या आंदोलन पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन करते हुए अमित शाह ने राम और अयोध्या को भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताते हुए कहा कि 'जबतक संस्कृति की विजय नहीं होगी, संघर्ष जारी रहेगा।' आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरूवार को फिर से अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर निर्माण की इच्छा जताई। इस मंच पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे।अमित शाह ने संस्कृति के विजय तक संघर्ष जारी रहने का किया ऐलानसुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई लंबित होने के कारण अमित शाह राममंदिर निर्माण पर सीधे-सीधे कुछ बोलने से बचते दिखे, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि राम जन्मभूमि आंदोलन आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा आंदोलन है, जिसने हर किसी को प्रभावित किया है।उन्होंने कहा कि अयोध्या 'बर्बरता और विध्वंस के खिलाफ संस्कृति की जीजीविषा का इतिहास है। उन्होंने कहा कि 'जब भी सुशासन की बात आती है, तो उसकी तुलना राम राज्य से की जाती है। राम और उनका सुशासन यहां के जनमानस में रचा बचा है। इसे कोई नहीं मिटा पाया है और आगे भी कोई नहीं मिटा सकता है।' इस मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई का जिक्र किये बिना अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में हमेशा विजय जनभावनाओं की होती है। उनका इशारा साफ था कि देश की जनभावना रामजन्मभूमि मंदिर के पक्ष में है।बुधवार को विज्ञान भवन में प्रबुद्ध नागरिकों के बीच जल्द रामजन्मभूमि निर्माण की इच्छा जता चुके आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने फिर अपनी बात दोहराई। भागवत ने कहा कि भारतीय जनमानस के रग-रग में बसे राम के जन्मभूमि को लेकर विवाद होना ठीक नहीं है और सभी पक्षों को आपस में बैठकर विचार-विमर्श कर जल्द इसका हल निकालना चाहिए।उन्होंने कहा कि यदि सच्चाई पर चलें और राजनीति को इससे दूर रखें तो यह काम आसानी से हो सकता है। राम को भारतीय संस्कृति का प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग राम को भगवान नहीं मानते हैं, वे भी उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम जरूर मानते हैं।कुछ लोग उन्हें 'इमामे हिंद' की भी संज्ञा देते हैं। इसके बावजूद कुछ लोग इस मुद्दे पर बार-बार जनमानस को भड़काने की कोशिश की। यहां तक कह दिया है कि यह राम की अयोध्या है ही नहीं, कुछ लोगों ने तो राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया। यहां तक कि लेजर से मंदिर के ऊपर बाबरी मस्जिद होने का प्रमाण जुटाना पड़ा।Posted By: Bhupendra Singh


Source: Dainik Jagran September 20, 2018 17:03 UTC



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