नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। नए कानून के तहत मातृत्व अवकाश यानी मैटेरनिटी लीव की अवधि बढ़ने के बाद महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस समस्या से निपटने के लिए कानून में ही प्रावधान हैं।जब पूछा गया कि क्या मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने के बाद महिलाओं के रोजगारों पर प्रतिकूल असर पड़ा है, तो गंगवार ने कहा कि हां, रोजगार प्रभावित हुए हैं लेकिन इसके लिए आवश्यक उपाय मौजूद हैं।फिक्की के एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैटेरनिटी बेनिफिट एक्ट के कारण महिलाओं के रोजगार नहीं बढ़ रहे हैं। इससे पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इस कानून के चलते 18 लाख महिलाओं के लिए चालू वित्त वर्ष में रोजगार पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि मंत्री ने कहा कि इस कानून में प्रावधान हैं कि महिलाएं अवकाश की अवधि में घर से काम कर सकती हैं। इस समस्या से निपटने के दूसरे भी प्रावधान हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए उपाय हैं।स्टाफिंग सोल्यूशन कंपनी टीमलीज की रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल कर्मचारियों में महिलाओं का अनुपात 27 फीसद है। औपचारिक क्षेत्र में तो उनका अनुपात महज 14 फीसद है। रिपोर्ट के अनुसार इस कानून के चलते महिलाओं को नई नौकरी मिलना खासा मुश्किल हो गया है।सरकार ने इस साल मार्च में मैटेरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट 2017 की अधिसूचना जारी की थी। इसके साथ ही महिला कर्मचारियों से संबंधित 55 साल पुराने कानून के प्रावधानों में बदलाव हो गया। कानून में मातृत्व अवकाश बढ़ा दी गई और दूसरे लाभ ज्यादा उदार किए गए।रोजगार सृजन पर श्रम मंत्री ने कहा कि पिछले दो साल में ईपीएफओ और इएसआइसी जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से एक करोड़ नए कर्मचारी जुड़े।Posted By: Nitesh
Source: Dainik Jagran September 27, 2018 04:41 UTC