सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गया है और परीक्षण करेगा कि क्या महिलाओं को मस्जिद में सबके साथ नमाज पढ़ने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं. कुरान में मर्द-औरत में फर्क नहीं, फिर महिलाओं को मस्जिद में नमाज की आजादी क्यों नहीं? बात सिर्फ अक़ीदे यानी श्रद्धा और ईमान की की है. कुरान और हज़रत ने कभी औरतों के मस्जिद में दाखिल होकर नमाज़ अदा करने की कभी खिलाफत नहीं की, लेकिन कुरान को आधार बनाकर इस्लाम की व्याख्या करने वालों ने औरतों से भेदभाव शुरू कर दिया. याचिका में कहा गया है कि मौजूदा दौर में कुछ मस्जिदों में जहां औरतों को नमाज़ अदा करने की छूट है भी ,वहां उनके आने जाने के दरवाज़े ही नहीं नमाज़ अदा करने की जगह भी अलग होती है.
Source: NDTV April 16, 2019 06:17 UTC