मस्जिदों की दास्‍तां: अंग्रेजों ने यहां 27 साल तक नहीं होने दी थी नमाज - Religion And Spiritualism - News Summed Up

मस्जिदों की दास्‍तां: अंग्रेजों ने यहां 27 साल तक नहीं होने दी थी नमाज - Religion And Spiritualism


लखनऊ।ब्रिटिश शासन के जुल्‍म और सितम से हमारे देश की मस्जिद भी अछूती नहीं रह सकीं। अंग्रेजी हुक्‍मरानों ने लखनऊ की प्रसिद्ध आसिफी मस्जिद में करीब 27 साल तक नमाज नहीं होने दी। यह मस्जिद लखनऊ के बड़े इमामबाड़े में स्थित है जहां गैर मुस्लिम लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें भी हैं। इसमें विश्व-प्रसिद्ध भूलभुलैया बनी है, जो अनचाहे प्रवेश करने वाले को रास्ता भुलाकर आने से रोकती थी।मुगलकालीन इतिहास समेटे मुस्लिम समुदाय की पांच बेइंतहा खूबसूरत इबादतगाहेंदुनियाभर में अपनी भव्यता और नक्काशी के लिए मशहूर लखनऊ की आसिफी मस्जिद की बुनियाद 1784 में नवाब आसिफ-उद-दौला ने रखी थी। यह ऐतिहासिक धरोहर बड़ा इमामबाड़ा परिसर में बनी है। छत बिना किसी बीम के ढली है। जानकारों की मानें तो एक दशक से भी ज्यादा समय तक अवध के लोग अकाल की चपेट में थे। अकाल और भुखमरी से जनता को निजात दिलवाने के लिए नवाब आसिफ-उद-दौला ने आसिफी मस्जिद का निर्माण करवाना शुरू किया, जिससे लोगों को खाने की समस्या से राहत मिल सके। इसके निर्माण में 13 साल का समय लगा।1857 की क्रांति से लेकर 1884 तक इस मस्जिद पर अंग्रेजी सरकार का कब्जा रहा। इसका इस्तेमाल गन पाउडर और गोला बारूद रखने के लिए किया जाता था। 27 साल बाद इसे अंग्रेजों से मुक्त करवाने के बाद यहां नमाज अदा हुई।Ramadan 2019: क्‍या रमजान में बाल कटवाने और खिजाब लगवाने से टूट जाता है रोजा? मस्जिद की तामीर से पहले नवाब ने यह ऐलान करवाया था कि जिस किसी की फज्र (अल-सुबह) की नमाज कजा न हुई हो, वही इस मस्जिद की बुनियाद रखेगा पर कोई नहीं मिला और आसिफ-उद-दौला ने इसकी बुनियाद रखी। वाजिब नमाजों के अलावा यहां शहर की सबसे बड़ी जुमे की नमाज अदा की जाती है। ईद और बकरीद में बड़ी संख्या में नमाजी यहां नमाज अदा करने आते हैं।


Source: Navbharat Times May 10, 2019 07:41 UTC



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