उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कार्यदिवस पैदा हुएलॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रवासी कामगार इन्हीं राज्यों में लौटे हैंज्यादा रोजगार के लिए मनरेगा को 40 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त मिले हैंदैनिक भास्कर Jun 08, 2020, 04:17 PM ISTनई दिल्ली. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में लॉन्च की गई मनरेगा योजना लॉकडाउन के बीच काफी अहम होकर उभरी है। मई महीने में इस योजना के तहत रिकॉर्ड कार्यदिवस काम हुआ है। इससे लॉकडाउन के कारण अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों को घर के नजदीक ज्यादा काम मिला है।कुल 41.77 करोड़ कार्यदिवस काम हुआसरकारी डाटा के मुताबिक, इस साल मई में मनरेगा योजना में 41.77 करोड़ कार्यदिवस काम हुआ है। पिछले साल इस अवधि में 36.9 करोड़ कार्यदिवस काम हुआ था। इस प्रकार इस बार 4.8 करोड़ ज्यादा कार्यदिवस काम हुआ है। इसमें करीब 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। योजना में मई महीने में करीब 2.8 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए हैं। पिछले साल इस अवधि में 2.12 करोड़ परिवारों को लाभ मिला था। इस प्रकार इसमें 31 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस योजना के शुरू होने से लेकर अब तक एक महीने में इतनी बड़ी मात्रा में रोजगार पैदा होने का यह नया रिकॉर्ड है।यूपी में सबसे ज्यादा कार्यदिवस काम हुआडाटा के मुताबिक, योजना के तहत उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कार्यदिवस पैदा हुए हैं। इसका कारण यह है कि इन राज्यों में ही सबसे ज्यादा प्रवासी कामगार लौटे हैं। यूपी में मई में कुल 5.05 करोड़ कार्यदिवस काम हुआ है। पिछले साल समान अवधि में 1.74 करोड़ कार्यदिवस पैदा हुए थे। छत्तीसगढ़ में पिछले साल के 2.43 करोड़ कार्यदिवस के मुकाबले इस बार 4.15 करोड़ कार्यदिवस पैदा हुए हैं। वहीं मध्य प्रदेश में मई 2019 के 2.46 करोड़ कार्यदिवस के मुकाबले मई 2020 में 3.73 करोड़ कार्यदिवस पैदा हुए हैं।वित्त वर्ष 2020-21 में 1 लाख करोड़ का आवंटनकेंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में मनरेगा के लिए 61,500 करोड़ रुपए का आवंटन किया था। लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर घर लौट गए हैं। ऐसे में इनको रोजगार उपलब्ध कराने के मकसद से सरकार की ओर से हाल ही घोषित किए गए करीब 21 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज में मनरेगा के लिए अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा योजना को 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का आवंटन हो चुका है।श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से अब तक 58 लाख प्रवासी अपने गांव लौटेलॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके गांव पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया था। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक इन ट्रेनों से 58 लाख श्रमिक अपने गांव लौट चुके हैं। इससे पहले भी लाखों प्रवासी कामगार बसों, निजी कारों, दोपहिया वाहनों, साइकिल और पैदल ही अपने घरों को लौट चुके हैं। 2011 की जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक, उस समय देश में करीब 3 करोड़ प्रवासी मजदूर थे। 2020 तक इनकी संख्या बढ़कर 4 करोड़ के पास पहुंचने का अनुमान जताया गया था।शहरी क्षेत्रों में बढ़ सकती है मजदूरी की दरविशेषज्ञों का कहना है कि मनरेगा में ज्यादा रोजगार का ट्रेंड लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शहरी क्षेत्र में मजदूरी की दर बढ़ सकती है। इंडिया रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट डीके पंत का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा लेबर आपूर्ति से इस क्षेत्र में मजदूरी की दरों पर दबाव बना रहेगा। लेकिन शहरी क्षेत्र में लेबर के संकट के कारण यहां मजदूरी की दरों में बढ़ोतरी हो जाएगी। पंत का कहना है कि वेज लागत बढ़ने से कंपनियों की बैलेंस शीट पर दबाव बनेगा और इससे लंबी अवधि में निवेश पर असर पड़ेगा।2 फरवरी 2006 को हुई थी मनरेगा की शुरुआतमनरेगा योजना की 2 फरवरी 2006 को 200 जिलों से शुरुआत की गई थी। 2007-08 में अन्य 130 जिलों में इस योजना का विस्तार किया गया और 1 अप्रैल 2008 को इस योजना को देश के सभी 593 जिलों में लागू किया गया था। इस योजना के तहत सरकार की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में परिवार के व्यस्क सदस्यों को एक वित्तीय वर्ष में 100 का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है।मजदूरी में 20 रुपए का इजाफाहाल ही में केंद्र सरकार ने मनरेगा में प्रतिदिन मिलने वाली मजदूरी में 20 रुपए की बढ़ोतरी की है और यह 182 रुपए से बढ़कर 202 रुपए हो गई है। हालांकि, राज्यों में यह दर अलग हो सकती है। मनरेगा में अकुशल मजदूर को अधिकतम 220 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी देने का प्रावधान है।
Source: Dainik Bhaskar June 08, 2020 10:15 UTC