भास्कर डेटा स्टोरी: 22 दिन से नए केस तो घट रहे, पर मौतों का आंकड़ा 3500 से नीचे नहीं आ रहा, क्या है इसकी वजह, क्या सिर्फ भारत में ऐसा हो रहा? - News Summed Up

भास्कर डेटा स्टोरी: 22 दिन से नए केस तो घट रहे, पर मौतों का आंकड़ा 3500 से नीचे नहीं आ रहा, क्या है इसकी वजह, क्या सिर्फ भारत में ऐसा हो रहा?


Hindi NewsDb originalExplainerIndia USA Brazil Coronavirus Cases; Why Are Deaths Increasing In India? All You Need To KnowAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपभास्कर डेटा स्टोरी: 22 दिन से नए केस तो घट रहे, पर मौतों का आंकड़ा 3500 से नीचे नहीं आ रहा, क्या है इसकी वजह, क्या सिर्फ भारत में ऐसा हो रहा? भारत में 9 मई से कोरोना के केस घटने लगे, लेकिन मौत के आंकड़ों में कोई खास कमी नहीं आई है। 31 मार्च को देश में कुल 72 हजार केस आए थे। 15 अप्रैल को ये आंकड़ा 2 लाख के पार था। 21 अप्रैल को 3 लाख और 30 अप्रैल को यह 4 लाख क्रॉस कर चुका था। इन्हीं तारीखों को मौत का आंकड़ा कुछ ऐसा था- 31 मार्च को 458, 15 अप्रैल को 1184 और 30 अप्रैल को 3525। 6 मई को देश में अब तक के सबसे ज्यादा 4,14,280 केस आए और इस दिन 3923 मौतें हुईं। इसके बाद पिछले 22 दिन से कोरोना के केस घट रहे हैं, लेकिन रोज होने वाली मौतों की संख्या नहीं घट रही। 7 दिन के औसत के हिसाब से अब भी रोज 4 हजार से ज्यादा मौतें हो रही हैं।रोज मिलने वाले नए केस और मौतों में ये अंतर क्यों है? ऐसा नहीं है कि ये सिर्फ भारत में हो रहा है। कोरोना के दौर में ऐसा पहले भी हुआ है जब केस और मौतों के ट्रेंड अलग-अलग रहे हैं। पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर चन्द्रकांत लहारिया कहते हैं कि केस चाहे बढ़ रहे हों या घट रहे हों, मौतों की संख्या पर इसका असर दिखने में करीब 14 दिन का समय लगता है। यही इन्फेक्शन की साइकिल है। ऐसा दूसरे देशों में भी पीक के दौरान देखने में आया है। भारत में भी अगले कुछ दिनों में रोज होने वाली मौतों की संख्या में कमी आनी शुरू हो सकती है। हालांकि एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि रोज मिलने वाले केस भले काफी कम हो जाएं, लेकिन मौतों का आंकड़ा उसकी तुलना में इतना कम नहीं होगा।डॉक्टर लहारिया मौतों की संख्या ज्यादा होने की वजह इनकी बेहतर रिपोर्टिंग को भी मानते हैं। वो कहते हैं कि मौतों की संख्या को लेकर पिछले दिनों जिस तरह से सरकारों की फजीहत हुई, उसके बाद इनकी रिपोर्टिंग बेहतर हुई है। इसलिए कई राज्यों में केस कम होने का ट्रेंड 14 दिन से ज्यादा होने के बाद भी मौतों की संख्या में कमी नहीं दिख रही है।वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कई राज्यों द्वारा मौत के मामलों को देरी से रिपोर्ट किए जाने के कारण भी केस घटने के बाद भी मौतों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। इसे इन उदाहरणों से समझ सकते हैं- महाराष्ट्र में गुरुवार को कुल 425 मौतें रिपोर्ट की गईं। इनमें से 267 मौतें पिछले 48 घंटों में हुई थीं वहीं, गुरुवार को रिपोर्ट की गईं बाकी 158 मौतें पिछले एक सप्ताह के दौरान हुईं। यानी, मौत के कई मामले घटना के एक हफ्ते बाद भी रिपोर्ट किए जाते हैं।इसी तरह उत्तराखंड के हरिद्वार में बाबा बर्फानी हॉस्पिटल के कोविड केयर सेंटर में हुई 65 मौतों को रिपोर्ट नहीं किया गया। कुछ दिनों बाद ये आंकड़ा अलग-अलग जिलों से रिपोर्ट हुआ, क्योंकि यहां जिन दूसरे जिलों के लोगों की मौत हुई, उसे वहां के प्रशासन ने रिपोर्ट किया।एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ओवरऑल मौतों की संख्या नहीं घटने का एक और कारण दूसरी लहर में कोरोना से रिकवरी में लगने वाला ज्यादा समय भी हो सकता है। पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर ज्यादा गंभीर है। इस बार संक्रमितों को ठीक होने में ज्यादा वक्त लग रहा है। इस बार कई मामले ऐसे भी आए हैं जिनमें मरीज की रिकवरी के बाद मौत हो गई।महाराष्ट्र में केस कम हुए, लेकिन मौतें लगातार बढ़ रहींमहाराष्ट्र में 24 अप्रैल के बाद केस लगातार कम हो रहे हैं, लेकिन एक महीने बाद भी रोज हो रही मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है। इसका कारण एक्सपर्ट्स मौतों के मामलों का देर से रिपोर्ट होना भी मानते हैं।कर्नाटक में इस वक्त देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस, रोज 500 से ज्यादा मौतें हो रहींइस वक्त देश में सबसे ज्यादा कोरोना मरीज कर्नाटक में हैं। यहां अभी 4 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। कर्नाटक में रोज 500 से ज्यादा मौतें हो रहीं हैं। रोज आने वाले नए केस 9 मई के बाद से कम हो रहे हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। 13 मई के बाद रोज हो रही मौतों की संख्या में थोड़ी कमी आई थी, लेकिन 4 दिन की गिरावट के बाद मौतों में फिर से इजाफा हो गया।उत्तर प्रदेश में केस और मौतें दोनों घटींदेश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 27 अप्रैल को सात दिन के औसत के लिहाज से सबसे ज्यादा 34,813 केस आए थे। इसके बाद रोज मिलने वाले केस कम होने लगे। 27 मई को ये आंकड़ा 5 हजार से भी कम हो गया। वहीं, 8 मई के बाद रोज होने वाली मौतों की संख्या भी कम हो रही है। सात दिन के औसत के लिहाज से राज्य में सबसे ज्यादा 7 मई को 329 मौतें हुई थीं। इसके बाद से ये आंकड़ा घट रहा है। 27 मई को ये घटकर 187 तक पहुंच गया।


Source: Dainik Bhaskar May 29, 2021 02:26 UTC



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