भास्कर एनालिसिस: अफगानिस्तान में जिस तालिबान की जीत पर खुश है पाकिस्तान, वह उसे रुला भी सकता है - News Summed Up

भास्कर एनालिसिस: अफगानिस्तान में जिस तालिबान की जीत पर खुश है पाकिस्तान, वह उसे रुला भी सकता है


Hindi NewsDb originalPakistan Is Laughing At The Victory Of The Taliban In Afghanistan, It Can Also Make Them Cry. भास्कर एनालिसिस: अफगानिस्तान में जिस तालिबान की जीत पर खुश है पाकिस्तान, वह उसे रुला भी सकता हैनई दिल्ली 3 घंटे पहले लेखक: पूनम कौशलकॉपी लिंकवीडियोजैसी आशंका थी, तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। इसका असर न सिर्फ दुनिया और दक्षिण एशिया पर होगा, बल्कि पाकिस्तान पर भी जरूर होगा। पाकिस्तान तालिबान का खुला समर्थक है। ISI तालिबान को फंड करती रही है। तालिबान में बड़ी तादाद में पाकिस्तानी लड़ाके भी हैं। काबुल पर तालिबान के काबिज होते ही पाकिस्तान ने खुशी का इजहार किया है।सवाल,लेकिन, ये है कि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत पर पाकिस्तान की ये खुशी कब तक रहेगी? अफगानिस्तान में तालिबान भारत के लिए बड़ा खतरा हो सकता है, क्योंकि अफगानिस्तान भारत विरोधी आतंकवादी समूहों की पनाहगाह बन सकता है। अब भारत को तालिबान के साथ फूंक-फूंक कर और बेहद संभलकर रिश्ते रखने होंगे।मैं तो यही कहूंगा कि भारत सरकार अब अपनी अफगानिस्तान नीति को अमेरिकी विदेश नीति से अलग और आजाद रखे। भारत को कोशिश यह करनी चाहिए कि वो अफगानिस्तान में अपने हितों को पहले और अमेरिका को हितों का बाद में ध्यान दे।मानवाधिकार उल्लंघन पर चिंता? दक्षिण एशिया और इस्लामी मामलों के जानकार मुक्तदर खान का मानना है कि अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने के बाद पाकिस्तान में भी शरिया कानून लागू करने का जोश बढ़ेगा। जिससे आखिरकार पाकिस्तान को नुकसान ही होगा।सब जानते हैं कि तालिबान का मानवाधिकार में रिकॉर्ड बहुत ही खराब है। ये आशंका है कि तालिबान की सत्ता में औरतों, धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर शियाओं, के अधिकार मारे जाएंगे। जहां पर तालिबान का कब्जा है वहां लड़कियों को स्कूल जाने से मना कर दिया गया है। महिलाओं को ऐसी नौकरियों से हटा दिया गया है जहां उन्हें लोगों से बात करनी पड़ती है।इसके बावजूद उम्मीद की जाती है कि काबुल और जलालाबाद जैसे बड़े शहरों में तालिबान औरतों को काम करने दें, यह दिखाने के लिए कि वे औरतों का सम्मान करते हैं। तालिबान ने यह कहा भी है कि 'इस्लाम में औरतों के जो हक हैं' हम उनका सम्मान करेंगे। यानी, वो कह रहे हैं कि इस्लामिक शरियत के मुताबिक वो औरतों को हक देंगे, इससे साफ है कि औरतों की जो भी सार्वजनिक भूमिका होगी वो खत्म हो जाएगी।पाकिस्तान के इस्लामी समूह अगर पाकिस्तान में भी इसी 'इस्लामवादी शासन' की मांग उठाने लगे तो क्या पाकिस्तान का समाज इसे स्वीकार कर पाएगा? पाकिस्तान ने तालिबान की जीत की खुशी में अभी ये सवाल भले ही नजरअंदाज कर दिए हों, लेकिन एक दिन ये उसके सामने जरूर खड़े होंगे।


Source: Dainik Bhaskar August 17, 2021 09:44 UTC



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