भास्कर एक्सप्लेनर- 20% बजट पर सिर्फ 5 मंत्रालयों का कब्जा:मोदी 3.0 सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया। गठबंधन के दबाव के बावजूद सबसे ताकतवर 4 मंत्रालयों में कोई बदलाव नहीं हुआ। गृह, वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय के मुखिया वही हैं, जो मोदी 2.0 में थे।. प्रधानमंत्री मोदी समेत ये चारों कैबिनेट की सुरक्षा समिति के हिस्से होते हैं, जो सरकार के सभी बड़े फैसले करती है। इनके अलावा सरकार में अहम माना जाने वाला कृषि मंत्रालय शिवराज सिंह चौहान को दिया गया है।भास्कर एक्सप्लेनर में मोदी 3.0 की टॉप-5 मिनिस्ट्री का बजट, जिम्मेदारी और राजनीतिक ताकत को जानेंगे...प्रधानमंत्री मोदी के बाद सबसे मजबूत गृहमंत्रीअगर देश के प्रधानमंत्री किसी भी वजह से अपने ऑफिस में मौजूद नहीं हैं तो कैबिनेट की सुरक्षा समिति (CCS) के सदस्य यानी गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री कैबिनेट के सबसे ताकतवर मंत्री माने जाते हैं। प्रधानमंत्री अगर लंबे समय के लिए अनुपस्थित हों या विदेश चले जाएं तो गृह मंत्री इन बाकी मंत्रियों की सहमति से कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।जब देश के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति नियुक्त किए जाते हैं तो इसकी अधिसूचना जारी करने का काम गृह मंत्रालय करता है। इसके लिए अलग से गृह विभाग बनाया गया है। प्रधानमंत्री के अलावा कैबिनेट मंत्री और राज्यों के राज्यपालों की नियुक्ति और इस्तीफे की अधिसूचना भी गृह विभाग जारी करता है।देश की सुरक्षा और आतंकवाद, नक्सलवाद रोकना गृह मंत्रालय की जिम्मेदारीकिसी भी देश की तीन तरह की सीमाएं होती हैं। भूमि, समुद्री और आकाशीय। इनमें से भूमि और तटीय सीमाओं की सुरक्षा गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। सीमा पर बाड़ेबंदी करना हो या सड़क या हवाई जहाजों के लिए रनवे बनाना हो, सारा काम गृह मंत्रालय का बॉर्डर मैनेजमेंट डिपार्टमेंट करता है।केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के अंतर्गत असम राइफल्स, BSF, CISF, CRPF, ITBP, NSG और SSB आते हैं। इन सबकी सैलरी और तैनाती से लेकर पूरा मैनेजमेंट गृह मंत्रालय देखता है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने इंटर्नल सिक्योरिटी डिपार्टमेंट बनाया है। आतंकवाद से जुड़े मामले, सैनिकों का पुनर्वास, देश भर में मानवाधिकार के मामले देखने के लिए अलग-अलग संस्थाएं बनाई गई हैं, लेकिन इन संस्थाओं का सर्वेसर्वा गृह मंत्रालय ही है।जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के लिए 21 अधिकारियों का अलग विभागजम्मू-कश्मीर और लद्दाख सीमाई इलाके हैं। आतंकवादी घटनाओं के चलते यह इलाका अस्थिर रहता है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की सुरक्षा से जुड़े सारे निर्णय गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी है। गृह मंत्री अमित शाह की अगुआई में ही गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने की प्रक्रिया पूरी की थी।जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की गोली के शिकार हुए लोगों को मुआवजा देना हो, या कश्मीरी प्रवासियों के लिए पुनर्वास की योजनाएं बनाना हो, सारा काम गृह मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर और लद्दाख मामलों के विभाग के तहत होता है। इसके तहत एक जूनियर सेक्रेटरी सहित कुल 21 अधिकारियों को शामिल किया गया है।पाकिस्तान के साथ हमारे देश की सीमा को 'लाइन ऑफ कंट्रोल' और 'इंटरनेशनल बॉर्डर' कहते हैं। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस सीमा की सुरक्षा सेना करती है। हालांकि सीमा और सीमाई इलाकों मे आतंकवाद से जुड़े मामले, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख विभाग भी देखता है। इलाके में डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और रोजगार से जुड़े मामले भी इसी विभाग की जिम्मेदारी हैं।गृह मंत्रालय के जरिए राज्यों पर नियंत्रण रखती है केंद्र सरकारकेंद्र और राज्यों के बीच आपसी सहयोग बनाए रखने की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है। अगर किन्हीं दो राज्यों के बीच विवाद की स्थिति है तो उसे भी गृह मंत्रालय की देखरेख में निपटाया जाता है। मसलन, उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, कारवार और निपानी जैसे इलाकों को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच काफी पुराना सीमा विवाद है। इसे सुलझाने के लिए हाल ही में अमित शाह की मौजूदगी में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई थी।राज्यों में अगर किसी मुद्दे पर बड़े पैमाने पर कानून व्यवस्था बिगड़ती है तो गृह मंत्रालय, राज्य के प्रशासन और पुलिस को निर्देश दे सकता है। माने आंतरिक सुरक्षा के मामले में गृह मंत्रालय को राज्य की शक्तियों में दखल देने का अधिकार है। वहीं राज्यों की पुलिस भले ही राज्य सरकार के अधीन काम करती है, लेकिन देश का गृह मंत्रालय, किसी भी राज्य में तैनात IPS अधिकारियों को तलब कर सकता है।देश की जनगणना भी गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश पर होती है। कोई भी राज्य सरकार, अपने राज्य में इस प्रक्रिया से इनकार नहीं कर सकती।वित्त मंत्रालय तय करता है देश का बजटवित्त मंत्रालय को मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स भी कहा जाता है। देश की पूरी अर्थव्यवस्था चलाना एक तरह से वित्त मंत्रालय का ही काम है। किसी एक छोटी संस्था या संगठन में जिस तरह एक कोषाध्यक्ष कमाई और पैसे से जुड़े सभी निर्णय लेता है, उसी तरह देश का वित्त मंत्रालय केंद्र और एक हद तक राज्यों के आर्थिक मामलों को देखता है।वित्त मंत्रालय के अंदर आर्थिक मामलों का एक विभाग बनाया गया है। यही डिपार्टमेंट हर साल देश का केंद्रीय बजट तैयार करता है, जिसे देश का वित्त मंत्री संसद में पेश करता है। बजट में केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों को एक तय राशि आवंटित कर दी जाती है। वित्त मंत्रालय से बजट मिलने के बाद अलग-अलग मंत्रालय किस मद पर कितनी रकम खर्च करते हैं, इसकी निगरानी भी वित्त मंत्रालय करता है।राज्यों को खर्च के लिए पैसा देता है वित्त मंत्रालयवित्त मंत्रालय के तहत एक रेवेन्यू डिपार्टमेंट बनाया गया है। केंद्र सरकार को किसी भी तरह के टैक्स से होने वाली कमाई का पूरा कामकाज रेवेन्यू डिपार्टमेंट देखता है। इसके लिए रेवेन्यू विभाग के तहत सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) जैसी संस्थाएं बनाई गई हैं।इसके अलावा वित्त मंत्रालय के तहत वित्त आयोग बनाया गय
Source: Dainik Bhaskar June 11, 2024 15:17 UTC