Dainik Bhaskar May 01, 2019, 01:09 PM ISTपुराणिक ने बताया- जापान में राजनीति नौकरी की तरह, प्रचार के दौरान तीन वॉर्निंग मिलने पर चुनाव से बेदखल होने का खतरा रहता हैटोक्यो. पुराणिक : मेरी दादी, बहन और भाई पुणे में ही रहते हैं, जबकि मेरी मां मेरे साथ जापान में रहती हैं। बेटा अभी लंदन में पढ़ाई कर रहा है।आप जापान में कब से रह रहे हैं? पुराणिक : मैं 1997 और 1999 में जापान सरकार की स्कॉलरशिप पर विद्यार्थी के तौर पर जापान आया था। फिर 2001 में मैंने यहां नौकरी शुरू की। तब से यहीं रह रहा हूं।आप जैसे भारतीय अगर अन्य देशों की राजनीति में शामिल होते हैं तो उससे भारत को कितना फायदा? पुराणिक : मैं इडोगावा में पिछले 15 साल से काम कर रहा हूं। राष्ट्रीय राजनीति में जाने की इच्छा भी है। अगले 4 साल में मैं कितना काम कर पाता हूं, लोगों का कितना विश्वास जीत पाता हूं, उसी पर सब कुछ तय होगा। फिलहाल तो काम करने पर ध्यान देना है।विदेशी मूल के लोगों को राजनीति में स्वीकार करने के बारे में जापानी लोगों में किस तरह की सोच है? पुराणिक : पहली बात यह है कि जापानी भाषा की दीवार बहुत बड़ी है। जब तक आप यहां की भाषा नहीं समझेंगे तब यहां राजनीति करना मुश्किल है। दूसरी बात, जापानी समाज उतना उदार नहीं है। ये लोग अपने लोगों के ही ज्यादा करीब रहते हैं। इस वजह से काफी जापानियों को साथ लेकर काम करना जरूरी है।
Source: Dainik Bhaskar May 01, 2019 01:49 UTC