Dainik Bhaskar Apr 02, 2019, 09:35 PM ISTतीनों कंसल्टेंट अमेरिका के सेंट क्लारा में फर्म का संचालन करते हैंधोखाधड़ी के आरोप में तीनों को पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया, जमानत मिलीवॉशिंगटन. भारतीय मूल के तीन कंसल्टेंट पर अमेरिका में एच-1बी वीजा में झूठे दस्तावेजों के आधार पर लाभ लेने का आरोप है। अमेरिकी अदालत ने किशोर दत्तापुरम (सेंट क्लारा), कुमार अश्वपाथी (ऑस्टिन, टेक्सस) और संतोष गिरी (सेन जोस) को इस मामले में आरोपी माना है। पिछले हफ्ते गिरफ्तारी के बाद तीनों को जमानत दे दी गई थी।अधिकारियों के मुताबिक, तीनों कंसल्टेंट सेंट क्लारा में एक फर्म का संचालन करते हैं। वे कैलिफोर्निया में सॉफ्टवेयर और तकनीकी कौशल से जुड़े कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं। आरोप है कि प्रतिस्पर्धी फर्मों से ज्यादा लाभ कमाने के लिए उन्होंने वीजा आवेदनों को उन विदेशी कर्मचारियों की ओर से दाखिल कराए, जो कहीं काम नहीं कर रहे थे।झूठ के आधार पर वीजा हासिल किएबताया जा रहा है कि आरोपियों ने कंसलटेंट फर्म नैनोसीमेंटिक्स का इस्तेमाल झूठे आई-129 आवेदन पत्रों को दाखिल करने में किया। इनके बूते एच-1बी वीजा भी प्राप्त किए। वीजा आवेदनों में लिखा कि कर्मचारी किसी कंपनी में काम के इंतजार में है, जबकि असल में ऐसा कोई रोजगार नहीं था।दोषी पाए गए तो 10 साल की सजाआरोपियों ने फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए तीसरी पार्टी की मदद ली। तीनों को पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया। उन्हें बॉन्ड भरवाकर रिहा कर दिया गया है। हालांकि तीनों ने खुद को निर्दोष बताया। अब डिस्ट्रिक्ट जज एडवर्ड जे. डेविला के सामने 13 मई को पेशी होगी। दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा और 2,50,000 डॉलर का जुर्माना हो सकता है।एच-1बी वीजा से अमेरिका में काम करने की इजाजतएच-1बी वीजा भारतीय तकनीकी प्रोफेशनल्स के बीच लोकप्रिय है। यह विदेशियों को अस्थायी तौर पर अमेरिका में रहने और काम करने की इजाजत देता है। इसके लिए आवेदक को आई-129 आवेदन अमेरिका की नागरिकता और अप्रवासी सर्विस में देना होता है। इसमें कर्मचारी के काम की अवधि और पद के साथ जुड़े भत्तों की जानकारी शामिल होती है।
Source: Dainik Bhaskar April 02, 2019 12:36 UTC