Dainik Bhaskar Apr 20, 2019, 08:30 PM ISTमायावती ने शुक्रवार को मैनपुरी की रैली में मोदी को 'नकली ओबीसी' बतायामोदी की जाति को लेकर मई 2014 में भी विवाद हुआ था, कांग्रेस का आरोप था कि मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी लिस्ट में जोड़ालेकिन गुजरात सरकार का दावा है कि मोदी की जाति 1994 से ओबीसी लिस्ट में है और उस वक्त राज्य में कांग्रेस सरकार थीनो फेक न्यूज डेस्क. बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को मैनपुरी की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'नकली ओबीसी' और मुलायम सिंह यादव को 'असली ओबीसी नेता' बताया। इस दौरान मंच पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव भी मौजूद थे। 24 साल में ये पहली बार था जब मायावती और मुलायम एक मंच पर आए थे। मायावती के इस बयान के बाद एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या वाकई मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को राज्य की ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की लिस्ट में जोड़ दिया था? मोदी गुजरात के मोढ घांटी जाति से हैं।हालांकि, ये कोई पहली बार नहीं है जब मोदी की जाति पर इस तरह के सवाल उठाए गए हैं। इससे पहले मई 2014 में कांग्रेस नेता शक्तिसिंह गोहिल ने भी मोदी पर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद राजनीतिक फायदे के लिए उन्होंने अपनी जाति को ओबीसी की लिस्ट में शामिल कर दिया। सिर्फ शक्तिसिंह ही नहीं बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री और अब एनडीए का हिस्सा जदयू के प्रमुख नीतीश कुमार भी मोदी के ओबीसी होने पर सवाल खड़े कर चुके हैं।क्या मोदी पहले सवर्ण थे और मुख्यमंत्री बनने के बाद ओबीसी बन गए? मोदी जिस मोढ घांची जाति से आते हैं, उसे गुजरात में समृद्ध माना जाता है और पहले ये जाति सवर्णों में ही गिनी जाती थी। लेकिन मई 2014 में उस वक्त गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने बताया था कि, "गुजरात सरकार के समाज कल्याण विभाग ने 25 जुलाई 1994 को एक नोटिफिकेशन जारी किया था जिसमें 36 जातियों को ओबीसी कैटेगरी में शामिल किया था और इसमें संख्या 25(ब) में मोढ घांची जाति का भी जिक्र है।" उनके मुताबिक, मोदी की मोढ घांची जाति को 25 जुलाई 1994 को ही ओबीसी कैटेगरी में शामिल कर लिया गया था और उस वक्त गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी जिसके मुख्यमंत्री छबीलदास मेहता थे और शक्तिसिंह गोहिल उस सरकार में मंत्री थे। यही बात नरेंद्र मोदी की आधिकारिक वेबसाइट narendramodi.in पर भी मौजूद है। इसके अलावा, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी मई 2014 में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था जिसमें यही बात कही गई थी।1999 में मोढ घांची को केंद्रीय सूची में शामिल करने की सिफारिश की थीहमें 27 अक्टूबर 1999 का एक भारत का राजपत्र मिला। इसमें 17 राज्यों की कई जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी। इसमें मोढ घांची का भी नाम था। इसके अलावा घांची (मुस्लिम), तेली और माली जाति को भी केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने की सिफारिश थी।इसके अलावा, नवंबर 1997 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन सचिव पीएस कृष्णन ने केंद्रीय सामाजिक कल्याण विभाग के तत्कालीन सचिव केके बख्शी से गुजरात की कई जातियों को ओबीसी कैटेगरी की केंद्रीय सूची में शामिल करने की सिफारिश की थी।कौन हैं मोढ घांची? गुजरात में घांची हिंदू और मुस्लिम दोनों हैं। तेल का व्यापार करने वालों को घांटी कहा जाता है। कई राज्यों में घांची को 'तेली' या 'साहू' भी कहा जाता है। उत्तर पूर्वी गुजरात के मोढेरा से आने वालों को मोढ घांची कहा जाता है। मोढ घांची, घांची जाति ही की उपजाति है।
Source: Dainik Bhaskar April 20, 2019 15:00 UTC