Dainik Bhaskar Jun 11, 2019, 09:04 PM ISTनीरव मोदी की जमानत पर लंदन की रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस बुधवार को फैसला सुनाएगीनीरव के वकील ने कहा- मुवक्किल को जमानत के दौरान इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से टैग करें, या ट्रैक करने के लिए फोन दे देंभारत की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस ने कहा- बेल मिली तो सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती हैलंदन. रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में मंगलवार को पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हुई। इस पर बुधवार को फैसला सुनाया जाएगा। सुनवाई के दौरान नीरव की वकील क्लेयर मोंटगोमरी ने कहा कि मेरा मुवक्किल एक आम आदमी है। वह विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे जैसा नहीं है, जो किसी दूतावास में शरण ले रहा हो। इस दौरान भारत की ओर से क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि अगर नीरव को जमानत दी जाती है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।निचली अदालत में नीरव की जमानत अर्जी तीन बार खारिज हो चुकी है। 13,700 करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले का आरोपी नीरव साउथ-वेस्ट लंदन की वांड्सवर्थ जेल में है। 19 मार्च को सेंट्रल लंदन की मेट्रो बैंक ब्रांच से नीरव की गिरफ्तारी हुई थी। वह बैंक खाता खुलवाने पहुंचा था। वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नीरव की रिमांड 27 जून तक बढ़ा दी थी।जमानत के दौरान नीरव के भागने का खतरा नहीं- वकीलमोंटगोमरी ने कहा- नीरव के प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई शुरू हो रही है। ऐसे में उसके जमानत के दौरान भागने का खतरा नहीं है। वह ब्रिटेन अपना व्यापार बढ़ाने के लिए आया। उसका बेटा और बेटी भी ब्रिटेन आ रहे हैं। उसे यह भी निर्देश दिए जा सकते हैं कि वह गवाहों से सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर कोई संपर्क ना करे। अगर उसे बेल दी जाती है तो वह ट्रैकिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से टैगिंग और मोबाइल से ट्रैक किए जाने के लिए तैयार है। नीरव और उसके भाई के बीच भेजे गए ई-मेल से जाहिर होता है कि गवाहों से किसी तरह का संपर्क नहीं किया गया। हमने अबूधाबी के गवाहों को देखा है, जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के ई-मेल का जवाब दिया है।नीरव का ब्रिटेन आना कोई संयोग नहीं था- सीपीएसभारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर रही सीपीएस ने कहा- नीरव पर आपराधिक और धोखेबाजी के आरोप हैं। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह केवल आरोप हैं। तय प्रक्रिया के तहत इस पर कार्यवाही होगी। यह असुरक्षित कर्ज का मामला है। जज ने भी अब तक यह समझ लिया है कि इस मामले में डमी पार्टनर्स के जरिए लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग जारी किए गए। इसके जरिए पैसा अलग कंपनियों को भेजा गया। हमने जज से कहा कि आपने मामला सही समझा है।सीपीएस ने कहा, "हमने जज को बताया कि अगर मोदी को प्रत्यर्पण मामले की सुनवाई के दौरान बेल दी जाती है तो यह अलग बात है। लेकिन, अगर अभी उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि उस पर गंभीर आरोप हैं। उसका ब्रिटेन आना कोई संयोग नहीं था। जिस तरह से उसने धोखेबाजी की, वह जानता था कि यह दिन आएगा। उसने बेल के लिए जमानत राशि का प्रस्ताव भी रखा। अगर उसे जमानत दी जाती है तो सबूतों के साथ छेड़छाड़ की आशंका है।
Source: Dainik Bhaskar June 11, 2019 15:22 UTC