पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी का कहना है कि भारत के द्वारा की जा रही लॉबिंग के कारण फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्टेड किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो पाक को प्रति वर्ष 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान उठाना होगा। पिछले साल जून में एफएटीएफ के द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा गया था। इसमें ऐसे देशों को रखा जाता है जो उनके यहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी गतिविधियों के लिए होने वाले फाइनेंस को रोकने में असफल होते हैं।मंत्री कुरैशी ने कहा, ''यदि पाकिस्तान को भारत के द्वारा की जा रही लॉबिंग के कारण ब्लैक लिस्ट में डाला जाता है तो इससे होने वाले वार्षिक नुकसान की गणना विदेश कार्यालय के द्वारा की गई है। यह 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक हो सकता है। पाक यदि ग्रे लिस्ट में बरकरार रहा तो मुश्किलें बढ़ेंगी।'' एफएटीएफ ने पिछले साल पाक से देश में आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने की बात कही थी।एफएटीएफ के विशेषज्ञों के एक दल ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था। उनका उद्देश्य इस्लामाबाद के द्वारा उठाए गए उन कदमों को देखना था, जो आर्थिक अपराधों को रोकने के लिए वैश्विक मानदंडों के आधार पर लिए गए। इसके आधार पर ही फैसला होना है कि पाक ग्रे लिस्ट से बाहर होगा या नहीं। इस तीन दिवसीय यात्रा के दौरान दल के अधिकारियों ने पाया कि पाकिस्तान की ओर से ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।सदस्यों ने पाक से सवाल किया कि अंतरराष्ट्रीय मांग के मुताबिक प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ सख्त कदम क्यों नहीं उठाए गए? प्रतिबंधित संगठनों और गैर-लाभकारी संस्थाओं की गतिविधियों की जांच क्यों नहीं की गई? यह भी नहीं जांचा गया कि वे कहां से फंड प्राप्त करते हैं, रैलियां और सभाएं करते हैं। एफएटीएफ ने पाया कि पाक ने आतंकियों को होने वाले फाइनेंस के मामले को देखा तो सही मगर उसे ठीक से प्रदर्शित नहीं किया।पाक के कदम से यह स्पष्ट नहीं होता कि जैश-ए-मोहम्मद, अलकायदा, जमात-उद-दावा जैसे प्रतिबंधित संगठनों का फाइनेंस नेटवर्क कैसा है? वे तालिबान के साथ कैसे जुड़े हैं? हाल ही में प्रधानमंत्री इमरान खान सरकार ने हाफिज सईद के संगठन को बैन करने के साथ ही जैश-ए-मोहम्मद समेत पांच संगठनों पर बैन लगाने, 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लेकर, प्रतिबंधित संगठनों की संपत्ति को कब्जे में लेने का दावा किया था।पाकिस्तान ने इस दौरे के बाद एफएटीएफ अध्यक्ष मार्शल बिलिंग्सलिया को लिखा कि एशिया-पेसीफिक जॉइंट ग्रुप में भारत के स्थान पर किसी अन्य सदस्य की नियुक्ति की जाए ताकि आकलन प्रक्रिया निष्पक्ष हो। इस मामले को एफएटीएफ के सामने पेश करने से पहले एपीजी के सामने रखा जाता है, जिसका सदस्य पाक भी है। इस समूह में भारत की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट के डायरेक्टर जनरल भी मौजूद होते हैं।
Source: Dainik Bhaskar April 02, 2019 14:48 UTC