पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA आज नीलाम होगी: 3 कंपनियों ने बोली लगाई, सेना से जुड़ी कंपनी ने आखिरी वक्त पर नाम वापस लिया - News Summed Up

पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA आज नीलाम होगी: 3 कंपनियों ने बोली लगाई, सेना से जुड़ी कंपनी ने आखिरी वक्त पर नाम वापस लिया


Hindi NewsInternationalPakistan PIA Auction 2025 Update; Asim Munir Army IMF Loan | Economic Crisisपाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA आज नीलाम होगी: 3 कंपनियों ने बोली लगाई, सेना से जुड़ी कंपनी ने आखिरी वक्त पर नाम वापस लियाइस्लामाबाद 2 घंटे पहलेकॉपी लिंकआर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय एयरलाइंस को बेचने की तैयारी में है। शहबाज सरकार पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की 75% हिस्सेदारी बेचेगी। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 दिसंबर बोली जमा करने का आखिरी दिन है।PIA को खरीदने के लिए तीन कंपनियों ने अपनी बोलियां जमा कर दी हैं। ये बोलियां बंद लिफाफों में दी गईं और इस पूरे कार्यक्रम को सरकारी टीवी पर लाइव दिखाया गया।बोली देने वालों में लकी सीमेंट के लीडरशिप वाला एक बिजनेस ग्रुप, आरिफ हबीब कॉरपोरेशन के लीडरशिप वाला ग्रुप और प्राइवेट एयरलाइन एयरब्लू शामिल हैं। सभी कंपनियों को पहले ही इस प्रोसेस के लिए योग्य माना गया था।डेडलाइन के ठीक 2 दिन पहले सेना से जुड़ी एक खाद कंपनी फौजी फर्टिलाइजर प्राइवेट लिमिटेड (FFPL) ने बोली लगाने से अपना नाम वापस लिया है, जिसके बाद सिर्फ 3 दावेदार रेस में हैं।कंपनियों ने ट्रांसपेरेंट बॉक्स में अपनी बोलियों के लिफाफे डालेइस्लामाबाद में हुए प्रोग्राम में तीनों ग्रुप के प्रतिनिधि एक-एक करके आए और ट्रांसपेरेंट बॉक्स में अपने लिफाफे डाले। सरकार ने कहा है कि दोपहर 4:00 बजे इन लिफाफों को खोला जाएगा और तब पता चलेगा कि किसने सबसे ज्यादा कीमत लगाई है। इसके बाद विजेता का फैसला किया जाएगा।प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने पूरी प्रक्रिया को साफ और पारदर्शी बनाया है ताकि किसी को कोई शक न रहे। उन्होंने कहा कि यह सौदा पाकिस्तान के इतिहास का सबसे बड़ा निजीकरण सौदा हो सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे देश को फायदा होगा और PIA को नई जिंदगी मिलेगी।ट्रांसपेरेंट बॉक्स में तीनों कंपनियों के लिफाफे रखे हुए हैं, इन्हें दोपहर 4 बजे खोला जाएगा।सरकार को एयरलाइंस बेचने की नौबत क्यों आई? प्राइवेटाइजेशन कमीशन के चेयरमैन मोहम्मद अली ने बताया कि PIA की नीलामी में ‘क्लोज्ड बिडिंग’ या सीलबंद बोली की प्रक्रिया का इस्तेमाल होगा। 23 दिसंबर की सुबह 10:45 से 11:15 तक तीनों दावेदार अपनी बोली की रकम एक सीलबंद लिफाफे में लिखकर एक ट्रांसपेरेंट बॉक्स में डालेंगे। दावेदारों को पता नहीं होगा कि दूसरे ने कितनी बोली लगाई है।इसके बाद प्राइवेटाइजेशन कमीशन का बोर्ड बैठक करेगा और ‘रेफरेंस प्राइस’ तय करेगा। इसके बाद कैबिनेट कमेटी ऑन प्राइवेटाइजेशन (CCoP) की बैठक होगी, जो इस रेफरेंस प्राइस को मंजूरी देगी। यही कीमत बोली खोलते समय सार्वजनिक की जाएगी।ये प्रक्रिया आईपीएल की नीलामी जैसी लाइव नहीं होगी। लाइव बोली लगाने या दाम बढ़ाने जैसा कुछ नहीं होगा। सिर्फ लिफाफे खोलने की प्रक्रिया ही लाइव दिखाई जाएगी।अगर किसी बोली की रकम सरकार की तय कीमत से ज्यादा हुई, तभी सीमित ओपन ऑक्शन हो सकता है, लेकिन अगर बोलियां रेफरेंस प्राइस से कम रहीं, तो सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को प्राथमिकता दी जाएगी।इस 75 प्रतिशत की बोली राशि में से 92.5% पैसा सीधे PIA को जाएगा, जबकि सिर्फ 7.5% राष्ट्रीय खजाने में जाएगा।PIA को खरीदने की कतार में कौन? PIA को खरीदने की कतार में सिर्फ 3 दावेदार हैं-लकी सीमेंट एंड कंपनीज: इस ग्रुप में चार कंपनियां मिलकर बोली लगा रही हैं- लकी सीमेंट लिमिटेड, हब पावर होल्डिंग्स, कोहाट सीमेंट कंपनी और मेट्रो वेंचर्स। आरिफ हबीब एंड कंपनीज: इस ग्रुप में भी चार कंपनियां शामिल हैं- आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन लिमिटेड, फातिमा फर्टिलाइजर, सिटी स्कूल्स और लेक सिटी होल्डिंग्स। एयरब्लू प्राइवेट लिमिटेड: ये कंपनी अकेले बोली लगा रही है।सेना से जुड़ी कंपनी ने नाम वापस क्यों लिया? 1978 में बनी पाकिस्तान की एक खाद निर्माता कंपनी फौजी फर्टिलाइजर भी इस बिडिंग का हिस्सा थी। यह कंपनी फौजी फाउंडेशन का एक हिस्सा है, जो पाकिस्तान आर्मी से जुड़ा है। इसने 21 दिसंबर को बिडिंग की प्रक्रिया से अपना नाम वापस ले लिया। इसकी 3 वजह बताई जा रही हैं -आधिकारिक कारण: बिडिंग कमेटी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फौजी फर्टिलाइजर ने नाम इसलिए वापस लिया, ताकि डील में फ्लेक्सिब्लिटी बनी रहे। यानी कंपनी यदि चाहे, तो उसके पास बिडिंग जीतने वाले गठबंधन से बाद में जुड़ने का मौका है। अगर कंपनी बोली लगाती, तो ये ऑप्शन बंद हो जाता।रणनीतिक कारण: आर्मी चीफ आसिम मुनीर फौजी फर्टिलाइजर के क्वार्टर मास्टर जनरल को नियुक्त करते हैं, जो कंपनी के बोर्ड का हिस्सा होता है। इस हिसाब से सेना का इस फाउंडेशन पर इनडायरेक्ट कंट्रोल रहता है।अगर सेना की दखल वाली कोई कंपनी बिडिंग जीतती है, तो IMF तक गलत मैसेज जा सकता है और ये बिडिंग के नियमों का उल्लंघन हो सकता है। नियम के तहत, PIA को सिर्फ प्राइवेट कंपनी ही खरीद सकती है।बिडिंग हारने का डर: आसिम मुनीर PIA पर कंट्रोल चाहते हैं, लेकिन क्लोज्ड बिडिंग में अन्य दावेदार कितनी बोली लगाएंगे, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होगी। ऐसे में अगर फौजी फर्टिलाइजर बोली हार जाए, तो आसिम मुनीर PIA पर कंट्रोल का मौका गंवा देंगे। यही वजह है कि कंपनी ने नाम वापस ले लिया। अब फौजी फर्टिलाइजर के पास जीतने वाली कंपनी से जुड़ने का चांस बचा रहेगा।किसके जीतने के चांस सबसे ज्यादा? पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लकी सीमेंट का गठबंधन और आरिफ हबीब का गठबंधन बिडिंग जीतने के सबसे मजबूत दावेदार हैं। दोनों ही बड़े बिजनेस ग्रुप हैं और फौजी फर्टिलाइजर को बाद में अपने साथ जोड़ने के लिए तैयार हैं। एयरब्लू के चांस कम लगते हैं, क्योंकि ये अकेली कंपनी है और इसकी फाइनेंशियल स्ट्रेंथ अन्य दावेदारों जितनी नहीं है।--------------------PIA की नीलामी से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए...पाकिस्तान अपनी सरकारी एयरलाइंस बेच रहा, क्या उनकी आर्मी ही खरीद लेगी; IMF ने लोन देने के लिए रखी है शर्तपाकिस्ता


Source: Dainik Bhaskar December 23, 2025 06:13 UTC



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