पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मन को काबू करने के लिए अश्व के सिद्धांत को समझिए या तो उसे थका दें, या लगाम लगा दें - News Summed Up

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मन को काबू करने के लिए अश्व के सिद्धांत को समझिए या तो उसे थका दें, या लगाम लगा दें


Hindi NewsOpinionTo Control The Mind, Understand The Principle Of The Horse, Either Tire It, Or Rein Itपं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: मन को काबू करने के लिए अश्व के सिद्धांत को समझिए या तो उसे थका दें, या लगाम लगा दें10 घंटे पहलेकॉपी लिंकपं. विजयशंकर मेहताकभी-कभी तो लगता है हमारे भीतर दो व्यक्तित्व हो गए हैं। एक हिस्सा सिर्फ आरोप लगाता है और दूसरा भाग आलोचना सुनना नहीं चाहता। हम हर निर्णय के प्रति विपरीत टिप्पणी करने की आदत बना चुके हैं। फिर भले ही वह निर्णय राजसत्ता का हो या परिवार की सत्ता का, उसकी आलोचना जरूर करेंगे। लेकिन, यदि कोई हमारे प्रति विपरीत टिप्पणी कर दे, तो सहन नहीं कर पाते। तो विचार करिएगा कि हम कहीं ऐसे व्यक्तित्व को तो लेकर नहीं बैठ गए।ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण करता है मन। मन को काबू करने के लिए अश्व के सिद्धांत को समझिए। वैसे तो कहा जाता है घोड़े को दो तरीके से काबू में किया जाता है- या तो उसे थका दो, या लगाम लगा दो। लेकिन, एक तरीका और है। घोड़ा इशारा भी समझता है। यदि उसके और सवार के बीच संकेत की समझ बन जाए तो फिर न तो लगाम लगाना है, न ही उसे थकाना है। मन के साथ भी ऐसा ही है।उसे बाहर की वस्तुओं से बचाइए। मन में बाहर से कुछ न लाएं। विचार बाहर से ही आते हैं। मन इनको लपक लेता है और फिर नियंत्रण से बाहर हो जाता है। शून्यता हमारे भीतर है। मन यदि शून्यता से जुड़ गया तो संकेत की भाषा सुनेगा, समझेगा और जैसा हम चाहेंगे, वैसा ही करेगा। यहीं से दोहरा व्यक्तित्व समाप्त जो जाएगा। जो भीतर और बाहर से एक है, वह दुनिया का सबसे शांत व्यक्ति है।


Source: Dainik Bhaskar July 10, 2021 00:11 UTC



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