पंजाब पुलिस ने कहा,पूर्व डीजीपी सैनी के खिलाफ सीबीआई जानबूझकर नहीं दे रही रिकॉर्ड - Dainik Bhaskar - News Summed Up

पंजाब पुलिस ने कहा,पूर्व डीजीपी सैनी के खिलाफ सीबीआई जानबूझकर नहीं दे रही रिकॉर्ड - Dainik Bhaskar


पंजाब पुलिस सीबीआई से मांग रही है सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ जांच से जुड़ा रिकॉर्डदैनिक भास्कर Jul 14, 2020, 08:30 PM ISTचंडीगढ़. पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ दर्ज हुए 29 साल पुराने अपहरण के मामले में चंडीगढ़ सीबीआई ने पंजाब पुलिस को अपनी जांच से संबंधित कोई भी रिकॉर्ड देने से इनकार कर दिया है। इस पर पंजाब पुलिस ने मंगलवार को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में जवाब दिया कि सीबीआई जानबूझकर रिकॉर्ड देना नहीं चाहती है।पिछले महीने पंजाब पुलिस ने चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि चंडीगढ़ सीबीआई ने भी सैनी के खिलाफ 2008 में इंक्वायरी की थी। उस इंक्वायरी से जुड़ा रिकॉर्ड पंजाब पुलिस के लिए काफी अहम है।लेकिन इस एप्लीकेशन पर सीबीआई ने पिछली तारीख पर रिप्लाई दिया था कि ये रिकॉर्ड उनकी हाईकोर्ट के साथ इंटरनल कम्युनिकेशन है,इसलिए वे इसे शेयर नहीं कर सकते। इसके अलावा सीबीआई ने ये भी कहा कि उन्हें यह रिकॉर्ड ट्रेस नहीं हो पा रहा है।अब सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 20 जुलाई की है और उस दिन मसले पर कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है।ये है मामलामामला 1990 के दशक का है, जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे। 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ। उस हमले में सैणी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे,वहीं सैणी खुद भी जख्मी हो गए थे। उस केस के संबंध में पुलिस ने सैनी के ऑर्डर पर पूर्व आईएएस ऑफिसर दर्शन सिंह मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने उसे हिरासत में रखा और फिर बाद में कहा कि वह पुलिस की गिरफ्त से भाग गया। वहीं,परिजनों का कहना था कि बलवंत की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई। 2008 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ सीबीआई ने इस मामले में प्रीमिलनरी इंक्वायरी शुरू की। जिसके बाद 2008 में सीबीआई ने सैणी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने टेक्नीकल ग्राउंड पर इस एफआईआर को खारिज कर दिया था। लेकिन अब नए फैक्ट्स पर पंजाब पुलिस ने 7 मई 2020 को सैणी के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण), 201 (साक्ष्य मिटाने के कारण), 344 (गलत तरीके से कारावास), 330 और 120बी (आपराधिक साजिश रचना) के तहत केस दर्ज किया।


Source: Dainik Bhaskar July 14, 2020 14:59 UTC



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