देर आए, तेज आए: दो दिन देरी से आया मानसून एक ही दिन में तीन दिन के बराबर आगे निकल गया - News Summed Up

देर आए, तेज आए: दो दिन देरी से आया मानसून एक ही दिन में तीन दिन के बराबर आगे निकल गया


Hindi NewsLocalDelhi ncrThe Monsoon, Which Came Two Days Late, Went Ahead For The Equivalent Of Three Days In A Single Day; First Depression In Bay Of Bengal, Rain In Northeast From June 9देर आए, तेज आए: दो दिन देरी से आया मानसून एक ही दिन में तीन दिन के बराबर आगे निकल गयानई दिल्ली 6 घंटे पहले लेखक: अनिरुद्ध शर्माकॉपी लिंकतस्वीर बेंगलुरू की है।पहला डिप्रेशन बंगाल की खाड़ी में, 9 जून से पूर्वोत्तर में बारिशकेरल में दो दिन देरी से पहुंचा मानसून अब इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कि बीते 24 घंटे में ही यह तीन दिन के बराबर आगे निकल चुका है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गोवा में इसके दस्तक देने की तय तारीख 5 जून है। संभावना है कि यह तय समय से पहले ही वहां पहुंच जाएगा। दूसरी ओर, इस मौसम का पहला मानसून डिप्रेशन जल्द ही बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने की संभावना है।जिससे मानसून की धारा और बारिश में बढ़ोतरी होगी। यह डिप्रेशन म्यांमार के आसपास 7 जून को विकसित होगा। 9 से 11 जून के बीच इसका असर ओडिशा, प. बंगाल, सिक्किम, झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में होगा और मानसूनी बारिश को आगे बढ़ाने में मददगार बनेगा।मानसून की उत्तरी सीमा 27 मई को मालदीव और श्रीलंका के बहुत बड़े हिस्से को पार कर कोमोरिन सागर तक पहुंच गई थी। लेकिन उसके बाद अनुकूल परिस्थितियां न मिलने के चलते 2 जून तक वहीं ठहरी रही। वहीं 3 जून को भारतीय भू-भाग को छूने के बाद यह बहुत तेजी से आगे बढ़ी। अगले दो से तीन दिन में मानसून पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में पहुंच जाएगा।10 साल में भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएं 20 गुना बढ़ींमौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि बीते 10 सालों में मौसम की चरम परिस्थिति वाली घटनाओं में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है। मौसम की चरम परिस्थिति का मतलब है भूस्खलन, भारी बारिश, ओले गिरना, बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोतरी। चक्रवात और बाढ़ प्रभावित जिलों का बढ़ जाना। 1970-2005 के बीच 250 चरम जलवायु घटनाएं हुई थीं, पर 2005-2020 बीच 310 चरम घटनाएं दर्ज की गईं।तीन दिन में होने वाली बारिश अब सिर्फ 3 घंटे में हो जाती हैस्काईमेट के उपाध्यक्ष महेश पालावत बताते हैं कि पहले केरल, मुंबई में बाढ़ आती थी। पर अब गुजरात और राजस्थान में बाढ़ आने लगी है। भले बारिश की मात्रा में अधिक बदलाव नहीं है, लेकिन बारिश के औसत दिन कम हो गए हैं। 10 साल पहले जितनी बारिश तीन दिन में होती थी, अब वो तीन घंटे में हो जाती है। पहले की बारिशों से जलस्तर बढ़ता था, लेकिन मूसलाधार बारिश के कारण पानी नदियों में चला जाता है।बारिश की मात्रा में बदलाव नहीं; जहां बारिश-बाढ़, वहां सूखा भीपहले एक जून से 30 सितंबर के बीच के 122 दिन में दीर्घावधि औसत (एलपीए) 880 मिमी के आसपास बारिश होती थी। अब भी बारिश की कुल मात्रा में अधिक बदलाव नहीं आया है, लेकिन बारिश वाले दिन अब 60 या इससे कम बचे हैं। ऐसे में तेज बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बन जाती है, लेकिन बेमौसम बारिश और तेज गर्मी के चलते उसी जगह पर सूखा की स्थिति भी बन जाती है।चेतावनी: केरल, कर्नाटक व आंध्र प्रदेश समेत 9 राज्यों में बारिश का अलर्टमौसम विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को समूचे केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में मानसून जमकर बरसा। बीते 24 घंटे के दौरान केरल के 14 में से 8 जिलों में 7 से 16 सेमी तक बारिश दर्ज हुई। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में 115 साल की दूसरी और 16 साल की सबसे भीषण बारिश हुई। वहीं, महाराष्ट्र के दक्षिणी जिलों और गोवा में भी शुक्रवार से बारिश शुरू हो गई है। मौसम विभाग ने केरल, गोवा, आंध्र और कर्नाटक समेत 9 राज्यों में बारिश का अलर्ट जारी किया है।


Source: Dainik Bhaskar June 04, 2021 21:45 UTC



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