नई दिल्ली जेएनएन। मौसम में बदलाव के साथ ही दिल्ली एनसीआर की हवा भी बदल गई है। करीबतीन माह से अच्छी या संतोषजनक श्रेणी में चल रही हवा कुछ दिनों से खराब या बहुत खराब श्रेणी में आ गई है। मौसम विभाग एवं सफर का पूर्वानुमान है कि जैसे जैसे हवा में नमी बढ़ेगी, वायु प्रदूषण में भी इजाफा होता जाएगा। इसी के मद्देनजर 15 अक्टूबर से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से जंग के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) भी लागू कर दिया गया है। वायु प्रदूषण से जंग में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का भी काफी अहम रोल है। सीपीसीबी द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी साझा करने के लिए सीपीसीबी के सदस्य सचिव डॉ. प्रशांत गार्गवा से संजीव गुप्ता ने कई मुद्दों पर बात की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश।दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण में पराली के रोल पर क्या कहेंगे? पराली का धुआं प्रदूषण तो बढ़ाता ही है। सफर से इस धुएं के हिस्से की जानकारी भी मिलती रहती है। लेकिन, पराली के धुएं से ज्यादा यहां के प्रदूषण में आंतरिक कारकों का रोल होता है। अगर हम वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों पर जाएं तो इसमें वाहनों का धुआं, धूल उड़ना, मलबा, खुले में कचरा जलना और औद्योगिक क्षेत्रों का धुआं है।प्रदूषण के स्नोत मापने और इस पर अघ्ययन का कोई तरीका या मशीन नहीं है क्या? जेनरेटर के धुएं का शेयर पांच फीसद के आसपास कहा जा सकता है। पराली जलाने पर ठीक से रोक क्यों नहीं लग पा रही है? इसके लिए प्रदूषण के आंतरिक स्नोत तो जिम्मेदार हैं ही, उससे भी बड़ी वजह मौसमी परिस्थितियां हैं। सर्दियों के दौरान हवा की गति या तो कम हो जाती है या फिर नहीं के बराबर रह जाती है। ऐसे में हवा की नमी के साथ प्रदूषक तत्व भी जमने लगते हैं। हालांकि जैसे ही हवा की रफ्तार बढ़ती है, प्रदूषण का स्तर नीचे आ जाता है।इस बार की सर्दियों में प्रदूषण का स्तर कैसा रहने वाला है और सीपीसीबी की क्या तैयारियां हैं?
Source: Dainik Jagran October 21, 2019 04:07 UTC