बस सुबह उठकर केस फाइल पढ़ना, कोर्ट जाना, शाम को आकर जजमेंट डिक्टेट करना और रात को अगले दिन की फाइल पढ़ना". उन्होंने आगे कहा, "इंसान होने के नाते मैं कह सकता हूं कि यह आसान नहीं है कि अचानक जिंदगी में इस तरह का बदलाव आना. हालांकि, कई बार मैं ऐसा सोचता हूं कि जीवन में मैंने कितनी चीजें आत्मसात कर ली हैं लेकिन कितनी ही चीजें मैंने खोई भी हैं. तो ऐसी कई चीजें हैं, जो मैं अब करना चाहता हूं और कर पा रहा हूं". DY चंद्रचूड़ ने कहा, "प्राइवेट सिटिजन बनकर और जुडीशियल ऑफिस की बाउंडेशन में नहीं होने के बाद मुझे अच्छा लग रहा है."
Source: NDTV November 24, 2024 06:34 UTC