जीते जी नहीं हुए जुदा, आखिरी सांसें भी साथ हुईं विदा - News Summed Up

जीते जी नहीं हुए जुदा, आखिरी सांसें भी साथ हुईं विदा


दोस्ती में दगाबाजी के किस्से तो आम हैं, लेकिन सोनू, बॉबी और पुष्पेन्द्र दोस्ती की नई इबारत लिख गए। जब से होश संभाला और एक-दूजे का हाथ थामा तो वह आखिरी सांस पर ही छूटा। हादसे में तीन दोस्तों की मौत ने हर किसी को झकझोर दिया, जिसने भी इनकी एक साथ मौत की खबर सुनी। वह अपनी आंखों से झरते आंसू नहीं थाम सका। परिजनों के साथ हादसे ने पड़ोसी भी हिला दिए। कोई बेटियों को बिलखता छोड़ गया तो कोई परिवार को बेसुध कर गया। तीन युवा मौत एकबारगी पूरे शहर को रुला गईं। बॉबी और सोनू बचपन से ही साथ पढ़े और ऐसा कोई दिन नहीं था, जब वह एक-दूजे से नहीं मिलें। आखिरी सांस तक दोनों साथ ही रहे और दुनिया को एक साथ ही अलविदा कह गए। उल्लेखनीय है कि 12 नवंबर की रात को सेवर थाना इलाके में स्थित गोलपुरा मोड पर सीमेंट से भरा ट्रेलर अनियंत्रित होकर दो बाइकों पर पलट गया था। इसमें तीन दोस्तों की मौत हो गई थी व दो घायल हो गए थे।बॉबी बिलखती छोड़ गया बेटियांमृतक बॉबी पुत्र वीर सिंह निवासी सुभाष नगर कॉलोनी के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी। प्राइवेट नौकरी से सेवानिवृत हुए पिता के बाद अब बॉबी घर के पास ही भैंस रखकर दूध बेचने का का कर रह था। अभी उसकी एक बहन अविवाहित है। उसके हाथ पीले करने की जिम्मेदारी भी बॉबी को निभानी थी, लेकिन इससे पहले ही क्रूर काल ने उसे छीन लिया। बॉबी की दो बेटियां हैं, इनमें तीन साल की तनु एवं आठ माह की बिट्टू है। हादसे के बाद बेसुख होती बॉबी की पत्नी को देखकर उसकी बेटियां भी बिलख रही हैं। इनमें से बिट्टू को तो भान भी नहीं है, उसके सिर से पिता का साया उठ गया है। ऐसे में उसे देखकर हर किसी की आंख नम है।बिलख उठी मां, दहल गया पिता का दिलसोनू पुत्र प्रभुदयाल निवासी राधा नगर की हादसे में मौत ने परिवार को बुरी तरह झकझोर दिया। सोनू की मां कमला कैंसर से पीडि़त हैं, जबकि पिता प्रभुदयाल हार्ट के मरीज हैं। माता-पिता सोनू के घर लौटने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि अब सोनू नहीं महज उसकी खबर ही आएगी। सोनू की मौत की खबर सुनकर कैंसर पीडि़त मां बिलख उठी, जबकि दिल के मरीज पिता का दिल भी दहल गया। सोनू पहलवानी करता था, जबकि उसके पिता एवं भाई लुधावई तथा केन्द्रीय बस स्टैण्ड के पास ढाबा चलाने का काम करते हैं। सोनू की मौत हर किसी की आंख नम कर गई।बुझ गया इकलौता चिरागलुधावई निवासी पुष्पेन्द्र चार बहनों का इकलौत भाई था। घर में सबसे बड़ा होने के नाते परिवार की जिम्मेदारी भी पुष्पेन्द्र पर ही थी। दुर्घटना में बुझे परिवार के इकलौते चिराग ने हर किसी की आंख नम कर दीं। हादसे की सूचना पर बहन बेसुध हो गईं। पुष्पेन्द्र की पार्थिव देह पर विलाप करती बहनों के आंसू नहीं थमे। यह देखकर मौजूद लोग भी अपने आंसू नहीं थाम सके। पुष्पेन्द्र के पिता चंदन सिंह मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। पिता को अपने पुत्र से बहुतेरी उम्मीदें थीं कि वह उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन बुढ़ापे की लाठी टूटने पर वह खुद टूटे नजर आए।भरतपुर. लुधावई का मृतक पुष्पेंद्र सिंह।


Source: Dainik Bhaskar November 14, 2021 07:07 UTC



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