Hindi NewsLocalRajasthanJaipurSawai madhopurIf The Morel Dam Made Of Soil Is Not Filled, Then There Will Be A Crisis On Irrigation, Farmers' Eyes Are On The Monsoon,जिले के तीन उपखंड मोरेल बांध के भरोसे: मिट्टी से बना मोरेल बांध नहीं भरा तो आएगा सिंचाई पर संकट, किसानों की निगाहे मानसून परसवाई माधोपुर 8 घंटे पहलेकॉपी लिंकसूखा मोरेल बांध।दौसा-सवाई माधोपुर सीमा पर स्थित मोरेल बांध सवाई माधोपुर का एक मुख्य बांध है। जिसमें पानी नहीं आने से जिले में सिंचाई का संकट पैदा हो सकता है। मोरेल बांध एशिया के सबसे बड़े कच्चे मिट्टी के बांधों शुमार है। मिट्टी का सबसे बड़ा बांध पांचना बांध (करौली) है जो एशिया में सबसे बड़ा है। मोरेल बांध सवाई माधोपुर व दौसा जिले की जीवनरेखा के रूप में माना जाता है। क्योकि इससे लाखो किसान लाभान्वित होते है।फिलहाल इस बांध में जलस्तर 3 से 4 फिट रह गया है। अब इसके 500 मीटर क्षेत्र में ही पानी बचा हुआ है। जिसके कारण आने वाले समय जिले के तीन उपखंडों में सिंचाई की व्यवस्था गड़बड़ा सकती है। अगर इस बार मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो जिले के तीन उपखंड़ो के करीब 100 गांवों के किसानों को इस बार सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाएगा।मोरेल बांध की वर्तमान स्थिति।बांध में पानी की आवकमोरेल बांध में पानी की आवक ढूंढ नदी व मोरेल नदी से होती है यह जयपुर के चैनपुरा (बस्सी) गांव की पहाडियों से निकलकर जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर में बहती हुई करौली के हडोती गांव में बनास में मिल जाती है।ढूँढ इसकी मुख्य सहायक नदी है। जो जयपुर से निकलती है। मोरेल नदी पर दौसा व सवाईमाधोपुर की सीमा पर के पिलुखेडा गांव में इस पर मोरेल बांध बना है। मोरेल बांध वैसे तो दौसा जिले के जल संसाधन विभाग के अंतर्गत आता है, लेकिन इसकी मुख्य नहर का रख रखाव जिले के मलारना चौड़ कस्बे में संचालित हो रहा है यहां सहायक अभियंता व कनिष्ठ अभियंता के पद स्वीकृत है ओर दोनो अधिकारी बाकायदा जिले के किसानों के लिए करीब 105 किलोमीटर की नहर का रखरखाव करते है ।बांध का कैचमेंट एरिया व वर्तमान स्तिथि :बांध का कुल डूब क्षेत्र 3770 एकड़ भूमि, बांध की कुल भराव क्षमता 2707 मिलियन घन फुट तथा 30 फुट, कुल भराव क्षमता समुद्री तल से 262.43 मीटर,जल ग्रहण क्षेत्र 3345 स्कवायर किलोमीटर, अधिकतम जल स्तर 268.85 मीटर, बांध की ऊंचाई 20.80 मीटर तथा वेस्टवेयर की लंबाई 164.80 मीटर है। बांध मे हर वर्ष कुछ पानी रिजर्व रखा जाता है जो कि जलीय जीवों व पशु पक्षियों के लिए होता है । साल 2019 में 15 अगस्त के कुछ दिन बाद से बांध की वेस्टवेयर (ऊपराल) लगभग 1 से डेढ़ महीने चली थी।जिसे देखते हुए पानी को बचाने के लिए मोरेल नदी पर एक एनीकट बनाया जाना प्रस्तावित है। बांध का केचमेंट एरिया 19 हजार 607 हेक्टेयर है।(4 पक्के बीघा में एक हेक्टेयर होता है) दोनो केनाल को मिलने के बाद लगभग 129 किलोमीटर नहरों का फैलाव है जिनसे पिलाई होती होती है इसमें मुख्य नहर, माइनर सहित सभी शामिल है।साल 2019 में पूर्ण भराव :साल 2019 में मोरेल बांध 21 साल बाद झलका था। जिसकी नहर लगभग 90 दिन चली थी और लगभग 3 लाख 12 हजार पक्के बीघा में इससे सिचाई हुई थी । उस साल किसानों के बम्पर पैदावार हुई थी और क्षेत्र में खरीफ की फसल में गेहूं का रकबा भी बढ़ गया था।जिले के इन गांवों के किसान होते है लाभान्वित:सवाई माधोपुर जिले के बामनवास, बौली व मलारना डुंगर उपखण्ड के करीब 100 गांवो की 13 हजार हैक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है। फिलहाल बांध में पानी नहीं होने से व मानसून समय पर नहीं आने से बड़ा संकट पैदा हो सकता है। अगर जिले में मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो इन गांवों के किसानों को सिचाई के लिए जल उपलब्ध नहीं हो पाएगा।ये है बांध की स्थिति :बांध का निर्माण- सन् 1952भराव क्षमता- 31 फिटपूर्ण रूप से भरा - वर्ष 1998वर्ष 2015 में - 12 फिट 8इंचवर्ष 2016 में - 26 फिट 8 इंचवर्ष 2017 में - 0वर्ष 2018 में - 14 फिट 2 इंचवर्ष 2019 में - 30 फिट 6 इंचवर्ष 2020 में -17 फिटबांध का क्षेत्रफल:पानी की आवक- ढूंढ नदी ,जयपुरडूब क्षेत्र- 3770 एकड़ भूमिजिले में नहर की स्थिति - 105 किलोमीटरजिले में गांवों को मिलता है लाभ - 70 गांवजिले में सिंचाई क्षेत्र - 13 हजार हैक्टेयर
Source: Dainik Bhaskar July 10, 2021 05:15 UTC