जिंदगी पर भारी भूख: 5 साल की प्रतिज्ञा छत्तीसगढ़ से चल कर पहुंची बिहार, करतब दिखाकर चला रही परिवार, लॉकडाउन में देखनेवाले भी नहीं - News Summed Up

जिंदगी पर भारी भूख: 5 साल की प्रतिज्ञा छत्तीसगढ़ से चल कर पहुंची बिहार, करतब दिखाकर चला रही परिवार, लॉकडाउन में देखनेवाले भी नहीं


Hindi NewsLocalBiharChhattisgarh Five year old Walk To Reach Bihar Bhojpur With Her FamilyAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपजिंदगी पर भारी भूख: 5 साल की प्रतिज्ञा छत्तीसगढ़ से चल कर पहुंची बिहार, करतब दिखाकर चला रही परिवार, लॉकडाउन में देखनेवाले भी नहींभोजपुर 11 घंटे पहलेकॉपी लिंककरतब दिखाती 5 साल की प्रतिज्ञा।छत्तीसगढ़ के परसाडीह की रहने वाली 5 वर्षीय प्रतिज्ञा अपने परिवार के साथ चल कर भोजपुर पहुंची है। दो जून की रोटी के लिए प्रतिज्ञा मौत को दावत देती है। अपने छोटे भाई और छोटी बहन सांवली के साथ मिलकर लोगों के बीच करतब दिखाती है। लॉकडाउन में करतब दिखाना और भी मुश्किल हो गया है। परिवार का पेट पालने के लिए एक-दो शख्स को भी करतब दिखाने को तैयार हो जाती है। प्रतिज्ञा बताता है कि उसकी इच्छा पढ़ाई करने की है। लेकिन, सरकार की ओर से किसी तरह का मदद नहीं मिलता है। कोई योजना का लाभ भी नहीं। मजबूरी में परिवार चलाने के लिए यह काम करती हूं। लॉकडाउन में लोग भी करतब देखने के लिए नहीं आते हैं। दो-चार ही ही मिलते हैं।अनहोनी की भी आशंकामूल रूप से छत्तीसगढ़ के परसाडीह के रहने वाले जगमोहन नट अपनी दो बेटी प्रतिज्ञा और सांवली और एक बेटे राम के साथ बिहार आए हैं। उनका कहना है कि करतबों को देखकर लोग जो कुछ उन्हें दे जाते हैं, उसी से वे चारों अपना पेट भरने का प्रबंध कर पाते हैं। प्रतिज्ञा अपने जीवन को जोखिम में डाल कर रस्से पर चलने का खतरनाक करतब दिखाती है। इन बच्चों के करतबों को देख कर लोग दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाते हैं। दो जून की रोटी के लिए पूरी परिवार बिहार आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बेटी को काम करते देख काफी दुख होता है। साथ ही किसी अनहोनी की आशंका भी होती है। लेकिन क्या करे पापी पेट का सवाल है।नहीं मिल रही कोई मददजगमोहन ने कहा कि बड़ा होने के कारण रस्सी पर नहीं चढ़ सकता। इसीलिए मजबूरी में उसकी बेटी यह जोखिम भरा कार्य करती है। लॉकडाउन में लोग करतब भी देखने को नहीं आ रहे हैं। जगमोहन नट अपने परिवार के साथ आरा स्टेशन स्थित बिहारी मिल के पास एक झोपड़ी लगा कर रहते है। कोरोना काल मे आरा के तमाम समाजसेवी संगठन सड़कों पर मदद के लिए निकलते हैं। लोगो की भूख मिटाते हैं। लेकिन, अभी तक ऐसा कोई हाथ नहीं मिला जो प्रतिज्ञा और उसको परिवार की मदद कर सके। उन्होंने कहा कि सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देकर बेटियों को सुखद जीवन जीने के अवसर उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। लेकिन 5 साल की प्रतिज्ञा के लिए यह दावा पूरी तरह से झूठा साबित हो रहा है।


Source: Dainik Bhaskar May 19, 2021 05:30 UTC



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