छत्तीसगढ़ / मैं रायपुर...600 साल के गौरव से गर्व तक - News Summed Up

छत्तीसगढ़ / मैं रायपुर...600 साल के गौरव से गर्व तक


Dainik Bhaskar Oct 12, 2019, 12:52 AM ISTरायपुर. शासकों ने मुझमें अलग-अलग परंपराएं विकसित कीं। तालाबों के शहर के रूप में मेरी पहचान बनी। 550 साल पहले मुझमें खोखो तालाब बना, अपनी तरह का देश में पहला। इसमें महिला-पुरुष घाट के बीच दीवार है, दर्शन-पूजा करने के लिए शिव मंदिर है। मेरे आंगन में राजपरिवारों के लिए अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत राजकुमार कॉलेज से हुई। मेरे आंगन में बने बस्तर, रायगढ़, कोमाखान जैसी रियासतों के बाड़े। गांधीजी से लेकर स्वामी विवेकानंद तक के राष्ट्र यज्ञ का मैं गवाह बना।डे भवन आज भी स्वामीजी की यादों से भरा है। समय के साथ मेरा विस्तार हुआ। 1867 में मुझे म्युनिसिपैलिटी का दर्जा मिला। रेल की पटरियां बिछने के बाद मेरी गोद में स्टेशन बना। तब से व्यापार वृद्धि हुई। गल्ला कारोबार चल निकला। तेल निकालने, ईंट खपरे बनाने, कांसा-पीतल के बर्तन व गहने बनाने, गहने और लकड़ी के खिलौने तैयार होने लगे। 23 अक्टूबर 1978 को छत्तीसगढ़ राज्य गठन करो का नारा लगाते हुए जयस्तंभ चौक में पहली बार जुलूस निकाला गया।मैं रायपुर हूं। 600 साल पहले कल्चुरि शासन ने मुझे राजधानी बनाया और ब्रह्मदेव राय के नाम पर रायपुरा, फिर रायपुर के रूप में मुझे पहचान मिली। तब से अब तक कई शासक आए और मुझसे सीखकर शासन चलाया। मेरे बेटे वीर नारायण सिंह को मैंने शहीद होते भी देखा और आज आसमान छूती इमारतें भी देख रहा हूं।दैनिक भास्कर की स्थापना के गौरवशाली 31 साल पूरे होने पर आज मैं आपको बताने जा रहा हूं अपने इतिहास और भविष्य के साथ ही वो सब कुछ जिनसे मुझमें रहने वाले लोगों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक बदलाव अाया...1818 से रायपुर व्यापार का प्रमुख केंद्र रहा है, यहां का बाजार अनाज से लेकर ईंट-खपरे, कांसे-पीतल के बर्तन, चांदी-सोने व कपड़े के कारोबार के लिए प्रसिद्ध है।1854 में रायपुर में मुख्यालय के साथ अलग सचिव घोषित किया गया था। आजादी के बाद रायपुर जिले को सेंट्रल प्रॉविंस एंड बरार में शामिल किया गया था।500 साल पुराना दूधाधारी मठ समकालीन अन्य भवनों व मंदिरों में कलाकारी के लिए जाना जाता है।1894 से शुरू हुआ राजकुमार कॉलेज छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि ओडिशा व आसपास के राज परिवारों के लिए शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है।रायपुर से 50 किमी दूर महाप्रभु वल्लभाचार्य की जन्मस्थली चंपारण्य है, जो विश्व प्रसिद्ध है। महानदी के किनारे बसे आरंग को मंदिरों का शहर कहा जाता है।1895 का अष्टकोणीय संग्रहालय समेत कई निर्माण, कल्चुरि-मराठों की कला के उदाहरण हैं।इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम, हॉकी स्टेडियम, इंटरनेशनल स्वीमिंग पूल के साथ ही कोटा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का एथलेिटक्स स्टेडियम बनकर तैयार है।157 करोड़ का दक्ष सिस्टम तैयार हो चुका है, जिससे कंट्रोल रूम में बैठकर पुलिस जवान ट्रैफिक के साथ-साथ क्राइम कंट्रोल के लिए काम कर सकेंगे।राजधानी में 25 एकड़ में हाईटेक बस स्टैंड बन गया है। यहां थ्री स्टार होटल व सुविधाएं होंगी।जैविक तरीके से सफाई के मामले में तेलीबांधा तालाब ने देश में अपनी पहचान बनाई है। इसी तरह 20 और तालाबों की सफाई की जाएगी।दो दशक पुराने शहीद स्मारक पर 20 करोड़ खर्च कर पीडब्ल्यूडी व स्मार्ट सिटी ने लाइट एंड साउंड शो के साथ टैरेस चौपाटी व किड्स जोन शुरू किया है।पीडब्ल्यूडी की केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला में 72 प्रकार की निर्माण की जांच की जा सकेगी।और कल


Source: Dainik Bhaskar October 11, 2019 19:18 UTC



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