छंटनी का खौफ खत्म कोरोना की वजह से लॉकडाउन के बाद जब अर्थव्यवस्था को धीरे धीरे खोला गया था, तब सबसे ज्यादा असर रोजगार पर पड़ा था। डिमांड घटने की वजह से प्रोडक्शन पहले की तरह फुल स्केल में नहीं हो रहा था। आॅफिसेज भी लिमिटेड तरीके से खोले गए। इसलिए हाउसकीपिंग और मेंटनेंस स्टाफ की छंटनी हुई थी। जब आॅफिस फुल फ्लेज्ड तरीके से नहीं खुले तो कैंटीन और कैफेटेरिया भी नहीं खुले। इसलिए वहां काम करने वाले लोगों की छंटनी हो गई। लेकिन, अब जीडीपी एक बार फिर से ग्रोथ की रफ्तार पर है। अब लोगों को मंदी या छंटनी के खौफ से मुक्ति मिल गई है। अब तो कंपनियां नई भर्ती शुरू करेगी क्योंकि जब मार्केट में डिमांड निकलेगा तो प्रोडक्शन बढ़ेगा। जब प्रोडक्शन बढ़ेगा तो नई भर्ती भी होगी।मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर गिरावट से बाहर निकले जीडीपी के आंकड़ों को देखें तो बीते दिसंबर की तिमाही में एग्रीकल्चर सेक्टर की ग्रोथ बरकरार रही और 3.9 फीसदी की तेज दर से आगे बढ़ी। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर गिरावट से बाहर निकल आया। आंकड़ों पर गौर करें तो भारतीय अर्थव्यवस्था में जनवरी महीने के दौरान मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी 8 साल के उच्चतम स्तर पर रही थी। कमजोर आर्थिक विकास के आंकड़ों के बीच यहां इससे भविष्य में सुधार का संकेत तो मिलता ही है। जब मैन्युफैक्चरिंग बढ़ेगी तो बेरोजगारी की दर में भी कमी होगी। मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां बढ़ने की ही वजह से बीते जनवरी में कंपनियों ने जितनी हायरिंग की है वह बीते 7 साल में सबसे ज्यादा है।कंस्ट्रक्शन उद्योग ने पकड़ी रफ्तार कोरोना काल बीत जाने के बाद कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में भी रफ्तार बढ़ी है। एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से 2024 के बीच इस क्षेत्र में सीएजीआर 6 फ़ीसदी से भी ऊपर रहेगी क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में तेजी से काम शुरू हो गया है। स्थिति यह है कि हाईवे, रेलवेज, पोर्ट जैसे की इंफ्रास्ट्रक्चर एरिया में बहुत तेजी से काम शुरू हो गया है। राजमार्ग के क्षेत्र में देखें तो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने तो 25 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी सड़क को सिर्फ 18 घंटे में पूरा कर लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह बनाया है। इसी से पता चलता है कि देश में ढांचागत संरचना की परियोजनाएं किस तेजी से चल रही हैं।
Source: Navbharat Times February 27, 2021 03:45 UTC