भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चल रहा है, दोनों देशों मसले को बातचीत से सुलझाने पर जोर दियाचीन ने यहां सैन्य तैनाती बढ़ाई, जवाब में भारत ने भी यही कियानेशनल सिक्युरिटी एडवायजरी बोर्ड के सदस्य प्रो. बिमल पटेल May 30, 2020, 08:17 AM ISTनई दिल्ली. भारत और चीन के बीच लद्दाख में तनाव चल रहा है। दोनों देशों के सैनिकों के बीच संघर्ष भी हुआ। अमेरिका ने मध्यस्थता की पेशकश की। दोनों ही देशों ने इसे ठुकरा दिया। कहा- मसला बातचीत से हल कर लेंगे। बहरहाल, इस मसले पर भास्कर ने प्रोफेसर (डॉक्टर) बिमल एन. पटेल से उनकी राय जानी। प्रोफेसर पटेल गुजरात की रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर जनरल हैं। इसके अलावा वे नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य भी हैं। यहां भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव और इससे जुड़े मुद्दों पर उनकी राय....भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हो रही घटनाओं को कई तरह से देख सकते हैं। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि गलतफहमियां क्यों बढ़ीं। सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि दोनों देशों के बीच कोई ऐसी सीमा नहीं है, जिसे भारत और चीन दोनों ही मानते हों।चीन यहां अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है। लेकिन, जब भी भारत यही काम करता है तो वह विरोध करता है। हमारी गश्त को भी प्रभावित किया जाता है। भारत की तरफ से इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट किया ही जाना चाहिए और इस पर जोर भी दिया गया है। सैन्य टुकड़ियों की तैनाती को लेकर भ्रम की स्थिति है। लेकिन, इस बारे में कयास नहीं लगाए जाने चाहिए।झड़पें पहले भी होती रही हैं। लिहाजा, हालिया घटनाओं को अपवाद नहीं माना जा सकता। इसको सुलझाने में वक्त लगता है। अफसर और एजेंसियां हर घटनाक्रम पर पैनी नजर रखते हैं। जमीनी हकीकत के बारे में फैसला सेना पर छोड़ना चाहिए। हमारी सेनाओं को पूरा समर्थन है और हमेशा मिलना चाहिए। देश की अखंडता और प्रभुसत्ता को बनाए रखना हर राज्य का कर्तव्य है। भारत भी यही कर रहा है। लेकिन, इसी समय हम तनाव बढ़ाए बिना शांति से मामले को हल करने की कोशिश भी कर रहे हैं।भारत ने कभी यथास्थिति को बदलने की कोशिश नहीं की। और हम किसी दूसरी ताकत को भी ऐसा नहीं करने देंगे। इस मामले के कुछ दूसरे पहलू भी हैं। इसे चीन की विस्तृत रणनीति का भी हिस्सा नहीं मानना चाहिए। इस मामले का (लद्दाख में तनाव) भारत के नए एफडीआई नियमों से भी सीधा संबंध नहीं है। क्योंकि, यह नियम देश के आर्थिक हित ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। कई बार ये देखा गया है कि कुछ देश अपने अंतरराष्ट्रीय मामलों का इस्तेमाल घरेलू राजनीति या उद्देश्य के लिए करते हैं।नेपाल के मामले में भी यही बात है। लिपुलेख रोड का उसने विरोध किया। लेकिन, इसमें चीन को लाना या जोड़ना सही नहीं होगा। चीन ने भारत में मौजूद अपने नागरिकों को वापस लाने का फैसला किया। लेकिन, ये छात्र, पर्यटक और शॉर्ट टर्म वीजा होल्डर्स थे। इन हालात में तो कोई भी देश यही करता। फिर चाहे वो भारत हो या चीन।फिलहाल, तनाव के जो हालात हैं। उन्हें पहले की तरह शांतिपूर्ण और दोनों देशों की बातचीत से हल करना चाहिए। हमारी लीडरशिप और 2020 का भारत दुनिया के अहम मामलों में निर्णायक भूमिका निभाता है। इस दौरान हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और नीतिगत हितों का भी ध्यान रखते हैं।
Source: Dainik Bhaskar May 29, 2020 16:30 UTC