Hindi NewsLocalRajasthanKota30 Thousand Hectares Of Fields Will Not Reach Water Due To A Shabby Nave, 28 Crore Will Be Spent On Irrigation From Tubewellsग्राउंड रिपोर्ट: जर्जर नहराें के कारण 30 हजार हैक्टेयर खेताें तक नहीं पहुंचेगा पानी, ट्यूबवेल से सिंचाई पर खर्च होंगे 28 कराेड़काेटा 7 घंटे पहलेकॉपी लिंकफोटो दाईं मुख्य नहर की किशनपुरा ब्रांच का।दो दिन तक 40 गांवों का दौरा कर भास्कर रिपोर्टर ने देखी नहरों की दुर्दशासीएडी की और से 12 अक्टूबर से मध्यप्रदेश के लिए दाईं मुख्य नहर में पानी छाेड़ने की तैयारी की जा रही है। इसके बाद 23 अक्टूबर से काेटा और आसपास के जिलाें के लिए सभी ब्रांच और माइनर में पानी छाेड़ा जाएगा। लेकिन ये पानी टेल तक पहुंच जाए इसकी काेई गारंटी नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि दाईं मुख्य नहर से जुड़ी ब्रांच और माइनर जर्जर हाे चुकी हैं। किसानाें की लगातार शिकायत पर भास्कर रिपाेर्टर ने 2 दिन तक दाईं मुख्य नहर से जुड़े इलाकाें में करीब 40 गांवों का दाैरा किया।रेलवे एरिया से गुजर रही नहर गंदगी से अट चुकी है।अधिकतर जगहाें पर ब्रांच और माइनर गंदगी- झाड़ियाें से अटी मिली। इनकी दीवारें भी टूट गई हैं। इनपर अतिक्रमण भी हाे चुका हैै। रबी की फसलाें की बुवाई का सीजन शुरू हाेने वाला है। ऐसे में किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि फसलों के लिए समय पर पानी मिल सकेगा या नहीं। इनकी मरम्मत के लिए सीएडी के पास दाईं मुख्य नगर और ब्रांचाें के रखरखाव के लिए करीब 1 कराेड़ का बजट है के बावजूद इनकी सफाई तक नहीं करवाई जा सकी है। बाईं मुख्य नहर के लिए भी इतना ही बजट आता है, लेकिन उसकी हालत कमाेबेश ठीक है।दाईं नहर की माैजूदा हालत के हिसाब से इससे जुड़े इलाकाें में पानी पहुंचने में कम से कम 1 महीने लग जाएंगे, तब तक रबी की फसलाें की पहली सिंचाई का समय निकल चुका हाेगा। हालांकि टेल क्षेत्र के खेताें तक ताे पानी फिर भी नहीं पहुंचेगा। मजबूरी में किसानाें काे ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ेगी, जिससे खेती की लागत बढ़ेगी। हालांकि एक्सईएन एमएल मालव का कहना है कि पानी छोड़ने से पहले माइनर व ब्रांच की सफाई पूरी हो जाएगी। नहराें में हाे रहे अतिक्रमण पर यूआईटी व निगम के अधिकारी ही कार्रवाई कर सकते हैं।कचरे और अतिक्रमण के कारण किशनपुरा ब्रांच की टेल तक नहीं पहुंच पाता पानीकिशनपुरा ब्रांच के हेड पर अभी पुलिया बनाने का काम किया जा रहा है। यह ब्रांच जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। अधिकारियाें की लापरवाही से इस ब्रांच में कचरा फेंका जा रहा है। कई लाेगाें ने अवैध तरीके से इसपर पुलिया का निर्माण भी किया हुआ है। इससे नहर में पानी के बहाव में परेशानी हाेती है। कई स्थानों पर ताे नहर काे क्षतिग्रस्त कर उसका मलबा भी वहीं पर डाल रखा है। इस वजह से पूरा फ्लाे हाेने के बावजूद पानी टेल क्षेत्र तक पहुंचना नामुमकिन है। इस ब्रांच से करीब 20 हजार बीघा जमीन की सिंचाई हाेती है।हनुमंतखेड़ा व हाथीखेड़ा माइनर गंदगी के ढेर से अट गईइस माइनर से करीब 2 हजार बीघा जमीन की सिंचाई होती है। यह माइनर बाेरखेड़ा की काॅलाेनियाें के बीच से निकलती है। निगम क्षेत्र में यह माइनर गंदगी से अट चुकी है। किसानाें ने बताया कि नहराें में पानी शुरू हाेने के करीब 15 दिन बाद भी इस माइनर का पानी उनके पास में नहीं पहुंच पाता है। इससे उन्हें ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ती है। बरधा माइनर भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है। किसान राधेश्याम व कालू ने बताया कि इससे 12 गांवाें के किसानाें काे लाभ मिलता है। कुछ ग्रामीण इसमें कूड़ा भी फेंकते हैं।बड़गांव माइनर का पानी बेकार बह जाता हैबड़गांव से बूंदी की तरफ जाने वाले इस माइनर से करीब एक दर्जन गांवाें काे पानी मिलता है, लेकिन बड़गांव के पास यह माइनर क्षतिग्रस्त हाेने के कारण इसका अधिकतर पानी बेकार बह जाता है। किसान माेर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष रामलाल माली ने बताया कि सीएडी के अधिकारियाें से शिकायत के बावजूद मरम्मत नहीं हुई। वहीं किशनपुरा ब्रांच की चन्द्रेसल, मानसगांव, साेगरिया की तरफ जाने वाली माइनर नाले में तब्दील हाे गया है। भाजपा किसान माेर्चा के जिला महामंत्री हुसैन देशवाली ने बताया कि इस पर जगह-जगह अतिक्रमण है।रंगपुर ब्रांच झाड़ियाें और गंदगी से नाले में बदल गईइस ब्रांच से आधा दर्जन से अधिक गांव में सिंचाई हाेती है। इसमें जगह-जगह झाड़ियां उगी हुई हैं। रेलवे वर्कशाॅप के पास ये नहर नाले जैसी लगती है। कुछ नाले भी इसमें गिरते हैं।अयाना माइनर अभी तक कच्ची हैसीएडी विभाग अभी तक इस माइनर काे पक्का तक नहीं करवा सका है। भास्कर रिपाेर्टर इस इलाके में पहुंचा ताे इसमें झाड़ियाें और गंदगी के ढेर दिखे। इसकी सफाई एक साल से नहीं हुई है।पैरेलल इन्वेस्टिगेशनट्यूबवेल से सिंचाई पर कमांड एरिया के किसानाें काे हर साल खर्च करने पड़ते हैं 100 कराेड़बाईं मुख्य नहर 80 किमी लंबी है। इससे जुड़ी नहरें करीब 1248 किमी लंबी हैं। इनसे 1.02 लाख हैक्टेयर खेताें की सिंचाई हाेती है। वहीं दाईं मुख्य नहर प्रदेश की सीमा में करीब 124 किमी लंबी है। इसकी ब्रांच अाैर माइनर 1376 किमी लंबी हैं, जिनसे 1.27 लाख हैक्टेयर में सिंचाई हाेती है। इनसे हाड़ाैती की करीब 15000 कराेड़ की कृषि अर्थव्यवस्था जुड़ी हुई है।इनकी दुर्दशा से हर साल करीब 30 हजार हैक्टेयर खेताें तक पानी नहीं पहुंचता। ट्यूबवेल से सिंचाई करनी पड़ती है। रबी की सिंचाई के लिए प्रति बीघे 1500 रुपए लगतेे हैं। इससे 30 हजार हैक्टेयर में सिंचाई पर लगभग 28.12 कराेड़ लगते हैं। खरीफ सीजन में नहरें चलाने का राेस्टर ही नहीं है। इससे लगभग 2.30 लाख हैक्टेयर खेताें की एक बार सिंचाई में करीब 78.87 कराेड़ लगते हैं।अक्टूबर के पहले हफ्ते में पानी शुरू करना जरूरी, तभी समय पर हो सकेगी सिंचाईरबी के लिए पानी छाेड़ने का राेस्टर गड़बड़ है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में पानी छाेड़ देना चाहिए। इससे 20 अक्टूबर तक पानी अधिकतर इलाकाें तक पहुंच जाएगा। रबी सीजन में कमांड एरिय
Source: Dainik Bhaskar October 09, 2020 02:13 UTC