मोराटोरियम को लेकर दाखिल की गई याचिका पर कोर्ट 12 जून को सुनवाई करेगाभारतीय रिजर्व बैंक का 2.01 लाख करोड़ रुपए का ब्याज दांव पर लगा हैदैनिक भास्कर Jun 06, 2020, 04:42 PM ISTमुंबई. हाल में मोराटोरियम को लेकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया है। सवाल यह है कि अगर बैंक ने आपको कर्ज दिया तो वह आपकी प्रॉपर्टी या जो भी कुछ है, वह जब्त कर पैसे ले लेता है। पर आपका जमा पैसा अगर बैंक में डूब जाए तो इस पर आप कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते। आपको एक लाख रुपए की डिपॉजिट गारंटी जरूर मिल सकती है। 12 जून को इस पर सुनवाई होनी है। इस सुनवाई में यह फैसला होगा कि आरबीआई सही है या फिर याचिकाकर्ता।बैंकों के कंपाउंड इटरेस्ट के भुगतान पर होगा फैसलासुप्रीम कोर्ट की बेंच बैंकों को कंपाउंड इंटरेस्ट के भुगतान पर क्या फैसला करती है? इस पर इस मामले में नजर होगी। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस भुगतान पर रोक लगा दी है। अदालत गजेंद्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसमें मोराटोरियम के दौरान ब्याज भुगतान को चुनौती दी गई थी। वह भी ऐसे समय में जब कोविड-19 से लड़ने के लिए नेशनल लॉकडाउन ने कारोबार ठप कर रखा है। केंद्रीय बैंक ने इसके खिलाफ दलील दी और कहा कि यह फाइनेंशियल सिस्टम को अस्थिर कर सकता है। क्योंकि 2.01 लाख करोड़ रुपए की राशि का ब्याज दांव पर है।जिस बिजनेस के लिए लोन लिया गया, वह बंद हो गया तो कर्ज कैसे चुकेगायाचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल ने टिप्पणी की कि ये सामान्य समय नहीं है। न्यायमूर्ति एम.आर. तर्क यह है कि बैंकों द्वारा कंपाउंड इंटरेस्ट चार्ज करना अनुचित है। याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी, "वे कह रहे हैं कि बैंकों की लाभप्रदता ही सब कुछ है। क्या बैंकों को सिर्फ कमाना चाहिए और देश भले ही गर्त में चला जाये? एक बैंक का लाभ है जो शेयरधारकों को जाता है। दूसरा जमाकर्ताओं के प्रति उसका दायित्व भी है। मिलनेवाला ब्याज का हर पैसा लाभ नहीं है, केवल इसका एक हिस्सा है। जब ब्याज माफ किया जाता है तो बैंक अपने जमाकर्ताओं को भुगतान कैसे करता है?
Source: Dainik Bhaskar June 06, 2020 11:26 UTC