संक्रमण काल में नर्सरी के प्रति बढ़ा लोगों का रुझान शहर में चार महीने में खुलीं चार नई नर्सरी।वीरभान सिंह, मैनपुरी: हिम्मत और लगन हो तो कोई भी परेशानी बड़ी नहीं होती। यह बात एक बार फिर मैनपुरी के चार युवाओं ने साबित कर दी है। कोरोना काल में जब बाजार मंदी की मार से बेहाल था, इन युवाओं ने हरियाली से रोजगार की राह खोज निकाली। वर्तमान में एक युवा एक हजार रुपये तक कमा लेता है।लाकडाउन में घर वापसी करने वालों में शहर के नौजवान मानवेंद्र, राघवेंद्र, अमरेंद्र और रोहित भी थे। शहर की बैंक कालोनी निवासी मानवेंद्र सिंह दिल्ली में रहकर बायोटेक्नोलाजी की पढ़ाई कर रहे थे। कोरोना फैला तो मार्च में घर लौट आए। जुलाई में स्टेशन रोड पर नर्सरी का संचालन शुरू किया। दूसरे नौजवान हैं राघवेंद्र प्रताप सिंह। वे आइटीआइ कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण में कालेज बंद हुआ तो स्टेशन रोड पर ही नर्सरी खोल ली। तीसरे, अमरेंद्र बीए हैं। अनलाक में इन्होंने भी यहीं नर्सरी का कारोबार शुरू किया है। चौथे नौजवान रोहित कुमार बायो ग्रेजुएट हैं। उन्होंने पुलिस लाइन रोड पर यही कारोबार शुरू किया। शहर में पहले केवल एक नर्सरी थी। आज इनकी संख्या पांच हो गई हैं। इन युवाओं का कहना है कि शुरू में उनके काम को उत्साह नहीं मिला। धीरे-धीरे काम चल पड़ा। आज वह काफी बेहतर कर पा रहे हैं।इंटरनेट मीडिया बना बड़ा जरिया:अमरेंद्र सिंह ने बताया कि लोगों ने रुचि नहीं दिखाई तो उन्होंने इंटरनेट मीडिया का सहारा लिया। फेसबुक और वाट्सएप पर नर्सरी में आने वाले नए पौधों के बारे में जानकारी शेयर की। इससे लोगों की रुचि बढ़ी। पहले खुद करनी पड़ती है पढ़ाई:स्टेशन रोड पर नर्सरी का संचालन करने वाले मानवेंद्र सिंह का कहना है कि पौधों के प्रति लगाव ने उन्हें नर्सरी से जोड़ा। ग्राहक को समझाने से पहले खुद पौधों की वैरायटी और उनकी खासियत के बारे में पढ़ाई करनी पड़ती है। इन पौधों की मांग:पुलिस लाइन रोड स्थित नर्सरी संचालक रोहित कुमार का कहना है कि सर्दी में सजावटी पौधों की मांग बढ़ी है। केरसुला, डफन, ऐरोकेरा, डहेलिया, कैक्टस की लगभग दो दर्जन प्रजातियां, हाइडिलिया, नर्गिस पाम, इंप्रेशन की मांग अधिक है। मनी प्लांट की अलग-अलग किस्म भी खूब पसंद की जा रही हैं। गैर प्रांतों से होती है पौधों की आपूर्तिनर्सरी का संचालन करने वाले राघवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि फूल के अलावा शो-प्लांट और अन्य वैरायटी के पौधे कोलकाता, पुणे, मलीहाबाद के अलावा गाजियाबाद, आगरा और मुंबई के नागपुर से मंगाए जाते हैं। 50 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये कीमत तक के पौधे हैं।डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस
Source: Dainik Jagran November 21, 2020 06:22 UTC