कानपुर के झकरकट्टी बस अड्डे पर सोशल डिस्टेंसिंग में जमा भारी भीड़ देख रोडवेज कर्मचारियों के हाथ-पैर फूलेपलायन करके आने वाले कामगारों का कहना है कि मर जाएं चाहे जिंदा रहें, बस हमें अपनों के पास पहुंचा दोदैनिक भास्कर Mar 29, 2020, 03:20 PM ISTकानपुर. कोरोनावायरस के फैलते असर से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। दिल्ली से किसी तरह पलायन कर कानपुर पहुंचे कामगार लोग अपने गांवों और जनपद जाने के लिए अंतराज्यीय बस अड्डे पर जमा हो गए। यह भीड़ देख कर कानपुर में रहने वाले मजदूर भी जमा हो गए। सोशल डिस्टेंसिंग की यह हालत देख कर रोडवेज के अधिकारियों से समेत जिलाप्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। वहीं पलायन करके आने वाले कामगारों का कहना है कि कोरोना से भी ज्यादा भयवाह है हमारा सफर । हम मरे जाए या जिंदा रहे बस हमें हमारे अपनों के बीच पहुंचा दो।शनिवार दोपहर से ही झकरकटी बस अड्डे पर पलायन कर आने वालों की भीड़ जुटना शुरू हो गई थी। हाजारों की सख्या में लोग इकट्ठा होने की सूचना पर पहुंचे डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी ने सभी यात्रियों को एक-एक मीटर दूरी पर बैठाया था। इसके साथ ही रोडवेज अधिकारियों से बात कर यात्रियों को उनके जनपदों तक पहुंचाने की बात कही थी।शनिवार देर रात बनारस भेजी गईं बसेंझकरकटी बस अड्डे से शनिवार देर रात 7 बसे गोरखपुर भेजी गई थी। दो बसों को बनारस भेजा गया था, एक बस बेहराइच, एक बस लखीमपुर और एक बस को आगरा रवाना किया था। इसके बाद लगातार यात्रियों की सख्या बढते देख यात्रियों को खदेड़ दिया गया था।रविवार सुबह फिर से यात्रियों की सख्या बढ गई। इसके साथ ही लगातार दिल्ली से आने वाले यात्रियों की सख्या बढ़ रही है। पूवी उत्तर प्रदेश की यात्रियों की सख्या इतनी अधिक है कि लोग बस की छतों पर बैठ कर जान जोखिम में डाल कर यात्रा करने को मजबूर है। इसके साथ ही बसों में बैठने की जगह नहीं तो जिसको जहां जगह मिल रही वहीं लटक कर यात्रा कर रहा है।झकरकटी आने वाले यात्रियों का किसी तरह का मेडिकल परीक्षण नहीं करया जा रहा है। इस स्थिति ने उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की सख्या आने वाले दिनों में बढ सकती है। जबकि बस अड्डे पर आने वाले यात्रियों की थर्मल स्क्रिनिंग कराए जाने की बात कही गई थी। लेकिन बस अड्डे की स्थिति देखकर जिला प्रशासन के भी पसीने छूट रहे है।गुरुवार को दिल्ली से चले थेदिल्ली से आए बलवीर पाल ने बताया कि बीते गुरूवार को दिल्ली से निकले थे। एक डीसीएम की मदद से अलीगढ़ तक पहुंचे थे। इसके हाइवे से होते हुए लगभग 55 किलोमीटर पैदल चलने के बाद छोटा हाथी की मदद से औरैया अगरा हाइवे पहुचे थे। इसके बाद भूखे पेट 40 किलोमीटर चलना पड़ा था। फिर से एक ट्रक की मदद से कानपुर पहुंचा। हमारे और हमारे साथियों के पैरो के चप्पल घिस गए हैं। हम लोग बहुत थके हैं। हम सभी को सुल्तानपुर जाना है पूरी रात हमने हमने हाइवे पर बिताया है । कुछ लोग तहरी खाने को दे गए थे वही खाकर हम लोग बस अड्डे तक पहुंचे है । जानकारी मिली है कि सुल्तानपुर के लिए अभी कोई बस नहीं है । हमारी फरियाद यहां सुनने वाला कोई नहीं है । उन्होने कहा कि कोरोना से ज्यादा हमारा सफर भयवाह है । कोरोना होना होगा तो हो जाए । लेकिन हमें हमारे घर तक पहुंचा दो ।
Source: Dainik Bhaskar March 29, 2020 09:45 UTC