थिएटर में एक किरदार तब मजबूत बनता है, जब अभिनेता कल्पना से काम लें। यह जरूरी नहीं कि थिएटर, फिल्म या सीरियत में अभिनेता या अभिनेत्री को जो किरदार करने के लिए कहा जाता है या जो भावनाएं उन्हें अभिनय के समय दिखानी होती है, ऐसा पहले कहीं घटित हुआ हो। इसके लिए उन्हें अपनी कल्पना से ही काम लेना होता है।यह बात डायरेक्टर सतेंद्र ने विद्यार्थियों से कही। वह गुरुवार को एमडीयू के स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर में हुई थिएटर वर्कशॉप में बोल रहे थे। इस थिएटर वर्कशॉप में यूनिवर्सिटी के विभिन्न कोर्सों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि हमारे सब कॉन्सियश माइंड में ऐसी पॉवर होती है, जिससे यह संभव करा पाता है। इस दौरान विद्यार्थियों ने इमेजिनेशन पर तीन घंटे तक अभ्यास भी किया। वर्कशॉप में लेखक कुलदीप कुणाल ने बॉडी इंप्रोवाइजेशन, सब टेक्स्ट और थिएटर गेम्स पर बात की। यह वर्कशॉप विद्यार्थियों ने थिएटर के प्रति जागरूकता फैलानी के लिए लगाई जा रही है।
Source: Dainik Bhaskar September 27, 2019 03:12 UTC