कभी आग का गोला थी पृथ्वी, इंसान के रहने लायक बनने में लगे करोड़ों वर्ष, जानें रोचक तथ्यनई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। धरती है तो हरियाली है। हरियाली है तो जीवन है। जीवन है तो हम सब हैं। इस मूल मंत्र को भुला चुका इंसान धरती को तबाह करने में जुटा हुआ है। सीमित प्राकृतिक संसाधनों का इतनी तेजी से दोहन करने लगा है कि वह साल भर चलने की बजाय उससे पहले ही खत्म हो जा रहे हैं। इसी दिन को अर्थ ओवरशूट डे कहा जाता है।पृथ्वी दिवस शब्द किसने दिया था? "पृथ्वी दिवस या अर्थ डे" शब्द को जुलियन कोनिग (Julian Koenig) 1969 ने दिया था. इस नए आन्दोलन को मनाने के लिए 22 अप्रैल का दिन चुना गया, इसी दिन केनिग का जन्मदिन भी होता है. उन्होंने कहा कि "अर्थ डे" "बर्थ डे" के साथ ताल मिलाता है, इसलिए उन्होंने 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाने का सुझाव दिया था. अमेरिकी सीनेटर ने की थी अर्थ डे की शुरुआतहर साल 22 अप्रैल को मनाए जाने वाले पृथ्वी दिवस (अर्थ डे) की शुरुआत एक अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने की थी। 1969 में सांता बारबरा, कैलिफोर्निया में तेल रिसाव की भारी बर्बादी को देखने के बाद वे इतने आहत हुए कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को लेकर इसकी शुरुआत करने का फैसला किया। 1970 से 1990 तक यह पूरे विश्व में फैल गया और 1990 से इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसे हर साल अरबों लोग मनाते हैं और यह शायद उन कार्यक्रमों में से एक है जिसे सर्वाधिक तौर पर मनाया जाता है।हजारों छात्रों आंदोलन का हिस्सा बने22 अप्रैल 1970 को पृथ्वी दिवस ने आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत को चिन्हित किया। लगभग 20 लाख अमेरिकी लोगों ने एक स्वस्थ, स्थायी पर्यावरण के लक्ष्य के साथ भाग लिया। हजारों कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने पर्यावरण के दूषण के विरुद्ध प्रदर्शनों का आयोजन किया। पृथ्वी दिवस अमेरिका और दुनिया में लोकप्रिय साबित हुआ। 1990 में 22 अप्रैल के दिन पूरी दुनिया में पुनः चक्रीकरण के प्रयासों की सराहना की गई तथा रियो डी जेनेरियो में 1992 के यूएन पृथ्वी सम्मलेन के लिए मार्ग प्रशस्त किया। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से कार्यकर्ता राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में हुए बदलावों को आपस में जोड़ सकते हैं।इसलिए चुना 22 अप्रैल का दिनसीनेटर नेल्सन ने ऐसी तारीख को चुना, जो कॉलेज कैंपस में पर्यावरण शिक्षण की भागीदारी को अधिकतम कर सके। उन्हें इसके लिए19-25 अप्रैल तक का सप्ताह सर्वोत्तम लगा, क्योंकि यह न तो परीक्षा और न ही वसंत की छुट्टियों का समय होता है। न ही इस समय धार्मिक छुट्टियां जैसे ईस्टर आदि होती हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा छात्रों के कक्षा में रहने की उम्मीद थी, इस कारण उन्होंने 22 अप्रैल का दिन चुना।ग्लोबल वार्मिंग... खतरे में धरतीहम भले ही इतने वर्षों से विश्व पृथ्वी दिवस मान रहे हैं और देश व दुनिया के पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद पृथ्वी पर मंडराता खतरा जस का तस बना हुआ है। सबसे बड़ा खतरा तो इसे ग्लोबल वार्मिंग से है।धरती के तापमान में लगातार बढ़ते स्तर को ग्लोबल वार्मिंग कहते है। वर्तमान में ये पूरे विश्व के समक्ष बड़ी समस्या के रुप में उभर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि धरती के वातावरण के गर्म होने का मुख्य कारण का ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि है। अगर इसे नजरअंदाज किया गया और इससे निजात पाने के लिये पूरे विश्व के देशों द्वारा तुरंत कोई कदम नहीं उठाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब धरती अपने अंत की ओर अग्रसर हो जाएगी।ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार प्रमुख कारक- औद्योगीकरण के बाद कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले 15 सालों में कई गुना बढ़ा है।- इन गैसों का उत्सर्जन आम प्रयोग के उपकरणों, फ्रिज, कंप्यूटर, स्कूटर, कार आदि से होता है।- विश्व में प्रतिवर्ष 10 करोड़ टन से ज्यादा प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है और यह लगातार बढ़ रहा है।- ग्रीन हाउस गैसें भी ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार होती हैं। इनमें नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन शामिल हैं।- मौसम चक्र में हो रहे लगातार बदलाव से पर्यावरण पर लगातार खतरा मंडरा रहा है । पूरे विश्व में गर्मियां लंबी होती जा रही हैं, और सर्दियां छोटी।ऐसे समङोंमान लीजिए धरती पर मौजूद पेयजल कभी सभी के लिए साल भर के लिए मौजूद रहता था। इस दौरान बारिश और अन्य तरीकों से यह संसाधन पुन: उतनी मात्र में एकत्र होता रहता था। अब ऐसा नहीं है। अत्यधिक पानी के इस्तेमाल से धरती पर साल पर इस्तेमाल किया जा सकने वाला पानी साल से पहले ही खत्म होना शुरू हो गया है। चिंता की बात तो यह है कि यह अर्थ ओवरशूट डे साल दर साल नजदीक आता जा रहा है।Posted By: Sanjay Pokhriyal
Source: Dainik Jagran April 22, 2019 03:31 UTC