एक तारीख जिसने बदल दी दो मुल्कों की किस्मत, बदल गया इतिहास और भूगोल भी - News Summed Up

एक तारीख जिसने बदल दी दो मुल्कों की किस्मत, बदल गया इतिहास और भूगोल भी


नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। 1947 में भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान की किस्मत में एक और बंटवारा लिखा था। पश्चिमी पाकिस्तान की ओर से हो रही उपेक्षा और सियासी तिरस्कार से पूर्वी पाकिस्तान के लोगों में जन्मे आक्रोश ने पाकिस्तान के इतिहास और भूगोल को हमेशा-हमेशा के लिए बदल दिया। वो तारीख थी, 16 दिसम्बर 1971 और घटना थी - बांग्लादेश की मुक्ति की। मुक्ति पाक सेना के अत्याचारों से, उसके शोषण से, कलेजा फाड़ देने वाले उनके कुकृत्यों से, सियासी तिरस्कारों से। 16 दिसंबर को पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा आजाद हो गया और दुनिया के नक्शे पर एक नए मुल्क बांग्लादेश का जन्म हुआ।दरअसल बांग्लादेश के जन्म की पृष्ठभूमि से जुड़ी बात ये है कि पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य तानाशाह याह्या खान ने आम चुनाव में विजयी रहने के बाद भी मुस्लिम लीग के नेता शेख मुजीब-उर-रहमान को पीएम नहीं बनने दिया। मुजीब-उर-रहमान ने संसद में बहुमत भी साबित कर दिया था। उन्हें पीएम बनाने के बजाए जेल में डाल दिया गया। पूर्वी पाकिस्तान के नेता के साथ हुई इस घटना ने सियासी तौर पर दरकिनार किए जाने वाले पाकिस्तान के पूर्वी इलाके में आक्रोश को जन्म दे दिया। इसे कुचलने के लिए जनरल टिक्का खान ने बल प्रयोग किया।25 मार्च 1971 को पाक सेना और पुलिस ने पूर्वी पाकिस्तान में जमकर नरसंहार किया। लगभग आठ महीने तक चले अत्याचार के दौरान पाकिस्तानी सेना के हाथ मासूमों के खून से रंग गए। 14 दिसम्बर 1971 को पाक सेना और उसके समर्थकों ने 1000 से अधिक बंगाली बुद्धिजीवियों को मार डाला। रजाकर, अल बदर और अल शम्स जैसे संगठनों ने काफी कत्ल-ए-आम मचाया। बंगाली बुद्धिजीवियों को उनके घरों से खींचकर मार डाला गया। इनका मकसद था कि नए राष्ट्र में बुद्धिजीवियों की पीढ़ी खत्म कर दी जाए।25 मार्च को नरसंहार के बाद ही पाक सेना में पूर्वी पाकिस्तान के तैनात जवानों ने बगावत कर दी और मुक्ति वाहिनी का गठन कर दिया और पाक सेना के अत्याचार के खिलाफ खड़े हो गए। मुक्ति वाहिनी को सबसे बड़ा साथ मिला पड़ोसी देश भारत का, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन दिया और फिर भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग शुरू हो गई। भारतीय सैनिकों की जांबाजी के आगे पाकिस्तान की हेकड़ी खत्म हो गई, 93 हजार से अधिक पाक सैनिकों ने बंदूकें डाल दी। भारतीय जनरल जगजीत सिंह के सामने पाकिस्तान के जनरल नियाजी ने भी आत्मसपर्पण कर दिया।16 दिसम्बर 1971 को बांग्लादेश का जन्म हुआ और अवामी लीग के नेता शेख मुजीब बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बने। लेकिन इस स्वतंत्रता में 30 लाख लोग पाक सेना की बर्बरता का शिकार होकर शहीद हो गए। पाक सेना ने महिलाओं और बच्चों तक को नहीं छोड़ा। पाकिस्तान के तत्कालीन तानाशाह यह नहीं समझ पाए कि मासूमों पर होने वाला जुल्म उनके ही मुल्क की किस्मत को बदल देंगे और उनका एक हिस्सा उनसे सदा के लिए आजाद हो जाएगा।Posted By: Digpal Singh


Source: Dainik Jagran December 16, 2018 05:26 UTC



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