उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल विनिवेश मामले की सुनवाई से जज ने किया इंकार, अब हाईकोर्ट में 21 अक्टूबर को होगी - Dainik Bhaskar - News Summed Up

उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल विनिवेश मामले की सुनवाई से जज ने किया इंकार, अब हाईकोर्ट में 21 अक्टूबर को होगी - Dainik Bhaskar


Hindi NewsLocalRajasthanJodhpurLaxmi Vilas Palace Hotel Disinvestment Case Not Hearing, Now To Be On 21लक्ष्मी विलास पैलेस का मामला: उदयपुर के लक्ष्मी विलास होटल विनिवेश मामले की सुनवाई से जज ने किया इंकार, अब हाईकोर्ट में 21 अक्टूबर को होगीजोधपुर 15 घंटे पहलेकॉपी लिंकलक्ष्मी विलास होटल, उदयपुर।न्यायाधीश पीएस भाटी ने अपने व्यक्तिगत कारणों से इस मामले से स्वयं को अलग किया हैअब मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन से न्यायाधीश की बेंच में होगीउदयपुर के बहुचर्चित लक्ष्मी विलास पैलेस होटल के विनिवेश मामले में सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। न्यायाधीश पीएस भाटी ने इस मामले को सुनने से इनकार कर दिया। उन्होंने मामले की अगली तिथि 21 अक्टूबर तय की है। ऐसे में अब मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई कौन से न्यायाधीश की बेंच में होगी।ऐसा माना जा रहा है कि न्यायाधीश पीएस भाटी ने अपने व्यक्तिगत कारणों से इस मामले से स्वयं को अलग किया है। इस मामले से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, पूर्व आईएएस अफसर प्रदीप बैजल, आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे जुड़े हुए हैं। इन सभी की तरफ से हरीश साल्वे व प्रशान्त भूषण सहित कुछ अन्य नामी वकील पैरवी कर रहे हैं। लेकिन सोमवार का बहस का मौका ही नहीं आया। न्यायाधीश भाटी ने अपना फैसला सुनाते हुए खुद को इस केस से अलग कर लिया। इसके बाद सुनवाई स्थगित हो गई।यह है मामलासीबीआई कोर्ट ने 15 सितंबर को प्रसंज्ञान लेते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। 252 करोड़ रुपए के लक्ष्मी विलास पैलेस होटल को महज 7.50 करोड़ रुपए में बेचकर सरकार को 244 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, भारत होटल्स लिमिटेड की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी, पूर्व आईएएस अफसर प्रदीप बैजल, आशीष गुहा व कांतिलाल कर्मसे के खिलाफ अपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके अलावा इन सभी गिरफ्तारी वारंट से तलब भी किया गया था। सीबीआई का आदेश आते ही हड़कंप मच गया। कोर्ट के आदेश के बाद उदयपुर कलेक्टर ने होटल को अपने पजेशन में ले लिया और संपत्ति का सत्यापन का काम चल रहा है।हाईकोर्ट ने लगाई थी रोकइसके बाद सभी ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने इनके गैर जमानती वारंट को जमानती में तब्दील कर दिया और सीबीआई कोर्ट में मुचलके भरने का आदेश दिया। साथ ही उदयपुर जिला कलेक्टर को होटल का प्रबंधन फिर से भारत होटल्स लिमिटेड को सौंपने का आदेश दिया था।


Source: Dainik Bhaskar October 19, 2020 10:52 UTC



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