इस उपाय से दुश्मन को बनाया जा सकता है मित्र, समाज में मिलेगा सम्मान - News Summed Up

इस उपाय से दुश्मन को बनाया जा सकता है मित्र, समाज में मिलेगा सम्मान


ललित गर्गहर रिश्ते की मधुरता के लिए जरूरी हैं प्रेम और विश्वास। ये दिलों को जोड़ते हैं। इनसे कड़वे जख्म भी भर जाते हैं। प्यार की ठंडक से भीतर का उबाल शांत होता है। यह हमें दूसरों को माफ करना सिखाता है। प्यार और भरोसे की छत्रछाया में हम समूह और समुदाय में रहकर शांतिपूर्ण जीवन जी सकते हैं। ऑस्ट्रेलियाई लेखिका रोंडा बायन कहती हैं कि जितना ज्यादा हो सके हर चीज, हर व्यक्ति से प्यार करें। ध्यान केवल प्यार पर रखें। पाएंगे कि जो प्यार आप दे रहे हैं, वह कई गुणा बढ़कर आप तक लौट रहा है।इसलिए खास है बसंत का महीना, होली के रंगों का यह है महत्वहम समाज में एक साथ तभी रह पाते हैं जब वास्तविक प्रेम और संवेदना को जीने का अभ्यास करते हैं। उसका अभ्यास सूत्र है- साथ-साथ रहो, तुम भी रहो और मैं भी रहूं। ‘तुम’ या ‘मैं’ बिखराव और विघटन का विकल्प है। ‘हम दोनों साथ नहीं रह सकते’ यह नफरत और द्वेष का प्रयोग है। विरोध में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है। जो व्यक्ति दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित करना नहीं जानता, वह परिवार और समाज में रह कर शांतिपूर्ण जीवन नहीं जी सकता। दूसरों के साथ हमारे रिश्ते में सबसे बड़ा रोड़ा है अहंकार। यह बड़ी चतुराई से अपनी जगह बनाता है। अहंकारी अपने फायदे के लिए ही दूसरों के पीछे भागता है। बड़ों से संबंध जोड़ता है और छोटों और कमजोर की अनदेखी कर देता है। प्रेम हंसाता है तो अहंकार चोट पहुंचाता है। अहंकार गले लगाकर भी दूसरे को छोटा ही बनाए रखता है। यह केवल दूसरों से पाने की चाह रखता है। जब हम अपने हिस्से में से दूसरों को भी देना सीख जाते हैं और अपनी खुशियां दूसरों के साथ बांटना सीख जाते हैं तो जीवन एक प्रेरणा बन जाता है।पारिवारिक और सामाजिक शांति के लिए सहिष्णुता के साथ विनय और वात्सल्य भी आवश्यक है। आज का पढ़ा-लिखा व्यक्ति विनम्रता को गुलामी समझता है। उसका यह चिंतन अहंकार को बढ़ा रहा है। विनय भारतीय संस्कृति का प्राणतत्व रहा है। जिस परिवार और समाज में विनम्रता का अभाव रहता है, उसमें शांतिपूर्ण जीवन कदापि नहीं हो सकता। एक विनय करे और दूसरा वात्सल्य न दे तो विनय भी रूठ जाता है। वात्सल्य मिलता रहे और विनय बढ़ता रहे तो पारिवारिक और सामाजिक जीवन में शांति का संचार बना रहता है। सामंजस्य, समझौता, व्यवस्था, सहिष्णुता, विनय और वात्सल्य इन्हें जीवन में उतारें तभी पारिवारिक और सामाजिक शांति बनी रहेगी।जब तक आप दिमाग से संचालित होते हैं, आपको सच्चा प्रेम नहीं हो सकता। प्रेम का एहसास हो सकता है, लेकिन वह सच्चा प्रेम नहीं होता। मसलन हममें से ज्यादातर लोगों ने अपने जीवन में महसूस किया होगा कि उन्हें प्यार हो गया है। लेकिन वास्तव में एक-दो लोग ही होते हैं, जो सचमुच प्यार में होते हैं। ज्यादातर लोगों में कुछ समय बाद ही प्यार का एहसास समाप्त हो जाता है।मार्च में शिवरात्रि, होली सहित कई प्रमुख व्रत त्योहार, जानें तिथि, महत्वजरूरी है हम पहले अपनी मदद करना सीखें। दूसरों की मदद तभी कर पाएंगे। खुद को थामे रखे बिना दूसरों को पकड़ने की कोशिश निराशा ही देती है। यहां तक कि आप अपने लोगों पर ही बोझ बन जाते हैं। इसलिए दूसरों को बदलने से पहले हम खुद को भी बदलना सीख लें। हमारे दुश्मन दूसरे कम होते हैं, हम खुद ज्यादा होते हैं।


Source: Navbharat Times February 26, 2021 04:52 UTC



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