प्रवीण की मेहनत और सच्ची लगन ने दशकों से बंजर पड़ी जमीन को इलाहाबादी अमरूद के लिए मशहूर कर दिया है. इस अद्भुत प्रयास के बाद चारों तरफ प्रवीण की मेहनत और लगन की चर्चा की जा रही है. चीनी मिल के बंद होने के बाद वहां के स्थानीय लोगों ने वहां किसी फसल को लगाने का प्रयास नहीं किया. प्रवीण का कहना है कि जब उन्होंने बंजर जमीन पर खेती करने की शुरुआत की थी, तब गांव के लोग उसे मानसिक रूप से बीमार कहते थे. इसी गांव के लोग बताते हैं कि जहां आज प्रवीण खेती कर रहा है, वहां पर गांव के कई लोगों की बंजर जमीन पड़ी हुई है.
Source: Dainik Jagran November 01, 2021 09:58 UTC