नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। बिना जबड़े वाली समुद्री मछली लैंप्रे से ब्रेन कैंसर के इलाज की दिशा में उम्मीद की नई किरण दिखी है। वैज्ञानिकों ने इस मछली के इम्यून सिस्टम में ऐसे मॉलीक्यूल का पता लगाया है, जिनकी मदद से कैंसररोधी दवा को सीधे ब्रेन ट्यूमर तक पहुंचाया जा सकता है। अमेरिका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एरिक शुस्ता ने कहा, ‘हमारा मानना है कि यह कई बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है।’वैज्ञानिकों ने कहा कि एक खास बैरियर के चलते आमतौर पर खून के रास्ते शरीर में भेजी गई दवा दिमाग के प्रभावित हिस्से तक नहीं पहुंच पाती है। ब्रेन कैंसर और स्ट्रोक जैसे मामले में यह बैरियर कहीं-कहीं कमजोर पड़ता है। इस मछली में मिले मॉलीक्यूल इसी कमजोरी का फायदा उठाकर दवा को ठीक बीमारी की जगह तक पहुंचाने में सक्षम हैं। शोध से कई बीमारी की राह खुल सकती है।मस्तिष्क (ब्रेन) और रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) से संबंधित कैंसर के मामलों में बीते कुछ सालों में काफी इजाफा हुआ है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि शरीर के दूसरे अंगों में होने वाले कैंसर जैसे फेफड़ों और स्तन के कैंसर भी ब्रेन और स्पाइन को सेकंडरी कैंसर के रूप में प्रभावित करते हैं।ब्रेन कैंसर की शुरूआतब्रेन कैंसर होने का अर्थ है कि आपके दिमाग में ट्यूमर लगातार बढ़ रहा है। ट्यूमर यानी दिमाग में बहुत सारी कोशिकाओं का अनियंत्रित होना। ऐसे में कोशिकाओं को नियंत्रण लगातार बिगड़ता रहता है और कोशिकाओं का विभाजन असमान्य रूप से ब्रेन में होता रहता है। जो कि ब्रेन सेल्स को घातक नुकसान पहुंचा सकते हैं। ब्रेन में अनियंत्रित कोशिकाएं ब्रेन सेल्स के आसपास तेजी से फैलती है जो कि कैंसर का रूप धारण करती रहती हैं। जिसे शल्यि चिकित्सा द्वारा हटाना भी मुश्किल होता है। कैंसर का पता लगाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन ब्रेन कैंसर कई तरह का पाया गया है। इनमें से सबसे खतरनाक ब्रेन कैंसर ग्लिसयोमास पाया गया है। ब्रेन कैंसर कैसे शुरू होता है ये तो कहना मुश्किल है लेकिन शोधों में ऐसा पाया गया है कि इसके जीन आनुवांशिक होते हैं।ब्रेन कैंसरब्रेन कैंसर की प्रारंभिक अवस्था को ग्लाइयोमा कहते हैं। ब्रेन कैंसर के सभी मामलों में लगभग 80 प्रतिशत मामले ग्लाइयोमा से ही संबंधित होते हैं। सामान्य रूप से ऐसा देखा गया है कि प्राइमरी स्टेज का ब्रेन कैंसर बच्चों के सिर के पिछले भाग में और वयस्कों के सिर के आगे के भाग में ज्यादा होता है।लक्षणब्रेन कैंसर के लक्षण दो बातों पर निर्भर करते हैं कि इसका आकार कितना बड़ा है और यह ब्रेन के किस भाग में स्थित है। फिर भी इस कैंसर के कुछ लक्षण ये हैं..सिरदर्द और जी मिचलानाबेहोशी छा जाना या फिर कोमा में चले जानाबच्चों व वयस्कों के सामान्य व्यवहार में परिवर्तनयाददाश्त में कमजोरी आना व मिरगी के दौरे पड़नाब्रेन कैंसर को रोकने के उपायनींद पूरी लेंतनाव से दूर रहेंजंकफूड से दूर रहेंपानी अधिक मात्रा में लेंनियमित रूप से व्या्याम करेंपौष्टिक और संतुलित आहार लेंनशा, एल्कोहल इत्यादि ड्रग्स ना लेंउपचारसर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी द्वारा ब्रेन कैंसर का प्राथमिक उपचार किया जाता है। सेकंडरी ब्रेन कैंसर में रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अंतर्गत सर्वाधिक नवीनतम इलाज गामा नाइफ और साइबर नाइफ नामक मशीनों के द्वारा दिमाग व स्पाइन के कैंसर प्रभावित भागों पर विकिरण के जरिये किया जाता है। वैसे प्राइमरी कैंसर के मामलों का इलाज भी गामा नाइफ और साइबर नाइफ द्वारा किया जाता है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एपPosted By: Sanjay Pokhriyal
Source: Dainik Jagran May 17, 2019 07:30 UTC