असुविधा न हो - News Summed Up

असुविधा न हो


ठंड के इस मौसम में कोहरे ने जिस तरह से पूरे उत्तर भारत को घेर रखा है, उसका असर हवाई सेवाओं पर भी पड़ रहा है। कोहरे की वजह से फ्लाइट में कुछ घंटों तक की देरी की खबरें आ रही हैं। इससे यात्रियों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। दिल्ली एयरपोर्ट पर तो एक यात्री द्वारा पायलट से दुर्व्यवहार की अप्रिय घटना भी हुई।यात्री परेशान : पायलट से दुर्व्यवहार की घटना की ठीक ही चौतरफा निंदा हुई। ऐसे व्यवहार को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इस निंदनीय घटना की वजह से उन तकलीफों और परेशानियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता जिनसे यात्रियों को गुजरना पड़ रहा है।मौसम की मार : यह सही है कि घने कोहरे के चलते पर्याप्त विजिबिलिटी न होना किसी एयरलाइन कंपनी के हाथ में नहीं होता। लेकिन इन हालात में भी थोड़ी बेहतर सेवा यात्रियों की तकलीफ में काफी कमी ला सकती है। यह भी जरूरी है कि एयरपोर्ट पर और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल हो ताकि हवाई सेवा कोहरे की वजह से बाधित न हो।अनिश्चितता से उलझन : जब भी किसी वजह से सेवा बाधित होती है तो यात्रियों को जितनी परेशानी देरी से नहीं होती, उतनी सही सूचना समय पर नहीं मिलने से होती है। यह आम धारणा है कि एयरलाइंस कर्मचारी यात्रियों को पूरी जानकारी नहीं देते। रिफंड की सहज और आसान प्रक्रिया न होना मामले को बदतर बना देता है।बेहतर प्रबंधन की गुंजाइश : मूल समस्या भले कुदरती हो, प्रबंधन से जुड़े मुद्दों के चलते भी अक्सर हालात और बिगड़ जाते हैं। मसलन, कई बार ऐसा होता है कि खराब मौसम की वजह से पायलट एयरपोर्ट पर ही फंस जाते हैं और मौसम ठीक होने तक उनके ड्यूटी के घंटे पूरे हो जाते हैं। जाहिर है, मौसम ठीक होने के बावजूद नए क्रू के आने तक फ्लाइट फंसी रहती है।रेस्ट टाइम का मसला : इन्हीं विवादों में पायलटों का रेस्ट टाइम बढ़ाने का मुद्दा भी जुड़ गया है। कहा जा रहा है कि एविएशन रेगुलेटर DGCA के इस हालिया आदेश के लागू होने से समस्या और बढ़ सकती है। लेकिन पायलटों को पर्याप्त आराम मिलना जरूरी है। फ्लाइट की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। इस मसले का यही हल है कि कंपनियां अपने पायलटों की संख्या बढ़ाएं।एविएशन में संभावना : ध्यान रहे, देश में एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 15 करोड़ से ज्यादा घरेलू यात्रियों ने हवाई सेवा का इस्तेमाल किया, जबकि 2022 में यह संख्या 12 करोड़ ही थी। सेवा को पैसेंजर फ्रेंडली बनाए रखकर ही आगे इस सेक्टर की और अच्छी ग्रोथ सुनिश्चित की जा सकती है।रेगुलेटर की सक्रियता : इन विवादों का अच्छा पक्ष यह है कि DGCA तुरंत हरकत में आया और SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी कर दी। यात्रियों को सही और रियल टाइम जानकारी उपलब्ध कराने और तीन घंटे से ज्यादा देरी पर फ्लाइट कैंसल करने जैसे निर्देश उपयोगी हैं। मगर यह भी देखना होगा कि इन्हें सही ढंग से अमल में लाया जाए। इसके साथ ही यात्रियों के लिए संयम बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है।


Source: Navbharat Times January 17, 2024 04:31 UTC



Loading...
Loading...
  

Loading...