All 13 bodies and black box of the #AN-32 transport aircraft recovered. Choppers would be used to ferry the bodies… https://t.co/I1uTsDd5I1 — ANI (@ANI) 1560422205000Xअरुणाचल के सियांग जिले में भारतीय वायुसेना के दुर्घटनाग्रस्त मालवाहक विमान एएन-32 में सवार वायु सेना के सभी 13 जवान मारे गए हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक विमान के मलबे तक पहुंचे बचाव दल ने इसकी पुष्टि की है। इस दुखद हादसे में मारे गए सभी लोगों के परिवार को इसकी सूचना दे दी गई है। सभी 13 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं और उन्हें लाने के लिए हेलकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। विमान का ब्लैक बॉक्स भी बरामद कर लिया गया है।इससे पहले 15 सदस्यीय बचाव दल गुरुवार सुबह विमान के मलबे तक पहुंचा था। मलबे की जांच में चालक दल का कोई भी सदस्य जिंदा नहीं मिला। जानकारी के मुताबिक, दुर्घटनास्थल से सभी 13 लोगों के शवों को अरुणाचल प्रदेश से लाने के लिए हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पहले विमान के मलबे तक पहुंचने के लिए बुधवार को एक 15 सदस्यीय विशेषज्ञ दल को हेलिड्रॉप किया गया था। इस दल में एयरफोर्स, आर्मी के जवान और पर्वतारोही शामिल थे।बचाव दल को पहले एयरलिफ्ट करके मलबे के पास ले जाया गया और फिर उन्हें हेलिड्रॉप किया गया। इससे पहले मंगलवार को भारतीय वायुसेना के लापता विमान AN-32 का मलबा अरुणाचल के सियांग जिले में देखा गया था। दुर्घटना वाला इलाका काफी ऊंचाई पर और घने जंगलों के बीच है, ऐसे में विमान के मलबे तक पहुंचना सबसे चुनौतीपूर्ण काम था।दुर्घटना में मारे गए 13 लोगों में 6 अधिकारी और 7 एयरमैन हैं। मारे गए लोगों में विंग कमांडर जीएम चार्ल्स, स्क्वाड्रन लीडर एच विनोद, फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर थापा, फ्लाइट लेफ्टिनेंट ए तंवर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मोहंती और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एमके गर्ग, वॉरंट ऑफिसर केके मिश्रा, सार्जेंट अनूप कुमार, कोरपोरल शेरिन, लीड एयरक्राफ्ट मैन एसके सिंह, लीड एयरक्राफ्ट मैन पंकज, गैर लड़ाकू कर्मचारी पुतली और राजेश कुमार शामिल हैं।बचाव टीम को दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। बता दें कि ईस्ट अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियां बेहद रहस्यमयी मानी जाती हैं और यहां पहले भी कई बार ऐसे विमानों का मलबा मिला है, जो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लापता हो गए थे। जिस जगह पर विमान का मलबा मिला है, वह करीब 12 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है।अलग-अलग रिसर्च के मुताबिक, इस इलाके के आसमान में बहुत ज्यादा टर्बुलेंस और 100 मील/घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा यहां की घाटियों के संपर्क में आने पर ऐसी स्थितियां बनाती हैं कि यहां उड़ान बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है। वहीं, यहां की घाटियां और घने जंगलों में घिरे हुए किसी विमान के मलबे को तलाश करना ऐसा मिशन बन जाता है जिसके पूरा होने में कई बार सालों लग जाते हैं।
Source: Navbharat Times June 13, 2019 06:46 UTC