अयोध्या केस: 37 दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने 7.5 लाख और मुस्लिम पक्ष ने 5 लाख पेज की फोटोकॉपी कराई - Dainik Bhaskar - News Summed Up

अयोध्या केस: 37 दिन की सुनवाई में हिंदू पक्ष ने 7.5 लाख और मुस्लिम पक्ष ने 5 लाख पेज की फोटोकॉपी कराई - Dainik Bhaskar


राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- कागजों में फोंट छोटा हो और ए-4 साइज का कागज इस्तेमाल होपक्षकारों, वकीलों और कोर्ट सहित हर फाइल के 35 सेट होते हैं7 सेट कोर्ट को दिए जाते हैं, इनमें से 5 सेट जजों को और 2 सेट कोर्ट कॉपी में लगाए जाते हैंDainik Bhaskar Oct 12, 2019, 07:47 AM ISTनई दिल्ली से प्रमोद कुमार त्रिवेदी. अयोध्या विवाद मामले में दस्तावेजीकरण कितना ज्यादा है, इसका पता इसी बात से चलता है कि मुस्लिम, हिंदू पक्ष और निर्मोही अखाड़ा ने इस मामले की 37 सुनवाई में लगभग 11 लाख पेज की सिर्फ फोटोकॉपी करवाई है। इन दस्तावेजों की संख्या देखकर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया कि मद्रास हाईकोर्ट की तरह दस्तावेजों में फोंट का साइज छोटा किया जाए। आसपास छोड़ा जाने वाले स्पेस भी कम किया जाए। इससे कागज और पेड़ बचेंगे। साथ ही लीगल पेपर की जगह साधारण ए-4 कागज का इस्तेमाल होना चाहिए। धवन की मांग का हिंदू पक्ष ने भी समर्थन किया।राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दियासुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राजीव धवन के सहयोगियों में मुताबिक, कागज बचाने के लिए धवन ने मद्रास हाईकोर्ट का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच से कहा कि अगर ए-4 कागज का इस्तेमाल किया जाता है और फोंट छोटे करने की अनुमति मिलती है तो इससे कागज की बचत होगी। धवन के सहयोगी बताते हैं जस्टिस बोबड़े ने कहा कि मद्रास हाईकोर्ट में अगर ए-4 कागज का इस्तेमाल हो रहा है तो आप दस्तावेज बताइए। इसके इस्तेमाल पर यहां भी विचार हो सकता है।अभी तक 14 के फोंट साइज में दस्तावेज पेश होते हैंसुप्रीम कोर्ट या देश के किसी भी कोर्ट में जो भी दस्तावेज पेश किए जाते हैं वो 14 के फोंट साइज में होते हैं। लाइट ग्रीन कलर के लीगल पेपर पर चारों तरफ डेढ़-डेढ़ इंच का मार्जिन छोड़ना होता है। लाइन के बीच में गैप भी डबल स्पेस होता है। इससे कागज लगभग दोगुना लगता है।ए-4 कागज हो और मार्जिन कम होमुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कोर्ट को बताया कि चारों तरफ की बजाय सिर्फ एक तरफ ही डेढ़ इंच का मार्जिन छोड़ा जाए। ए-4 कागज का इस्तेमाल किया जाए। हर लाइन के बीच का स्पेस टू से वन किया जाए। इससे तकरीबन 40% कागज बचेगा। कागज की बचत मतलब पेड़ों की बचत है।सुप्रीम कोर्ट में बदला तो हाईकोर्ट भी बदल सकते हैं नियम


Source: Dainik Bhaskar October 12, 2019 02:18 UTC



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