अमीर ही नहीं मिडिल क्लास फैमिली भी बसना चाहती हैं विदेश में, महामारी में सामने आई ये हकीकत है वजह - News Summed Up

अमीर ही नहीं मिडिल क्लास फैमिली भी बसना चाहती हैं विदेश में, महामारी में सामने आई ये हकीकत है वजह


​किन जगहों के लिए मिल रहीं क्वेरी भारतीयों की ओर से वीजा और इमीग्रेशन सर्विस प्रोवाइडर्स को अमेरिका (US), कनाडा (Canada) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) जैसे सामान्य गंतव्यों के लिए तो क्वेरी प्राप्त हो ही रही हैं। इसके साथ ही छोटे देशों जैसे ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, पुर्तगाल, माल्टा, साइप्रस, टर्की, सेंट किट्स और नेवीज आदि के लिए भी क्वेरी मिल रही हैं। भाषा की परेशानी भी इसमें रुकावट नहीं बन रही है।​मिडिल क्लास फैमिली भी बसना चाहती हैं विदेश वीजा और इमीग्रेशन सर्विसेज कंपनी iVACS ग्लोबल के डायरेक्टर चरनजीत सिंह का कहना है कि कोरोनावायरस ने भारत के हर घर को प्रभावित किया है। देश से बाहर बसने की इच्छा रखने वालों में केवल अमीर लोग ही शामिल नहीं हैं। उनका कहना है कि हमें अब ऐसे मिडिल क्लास परिवारों से भी कॉन्टैक्ट किया जा रहा है, जो अपनी पसंद के या फिर बेहतर सुविधाओं की पेशकश वाले देश में परिवार के साथ बसने की संभावना तलाश रहे हैं। विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में बेहतर सुविधाओं की तलाश की जा रही है। साथ ही मिनिमम इन्वेस्टमेंट और इमीग्रेशन ऐप्लीकेशन की प्रोसेसिंग में कम वक्त किन देशों के मामले में है, इस पर भी विचार किया जा रहा है।​पहले केवल अमीर करते थे विदेश में बसने के लिए अप्लाई कोविड के आने से पहले जो लोग बाहर देश से बाहर बसने की इच्छा रखते थे, उनमें से 90 फीसदी कारोबार के विस्तार, टैक्सेशन पॉलिसी, कारोबार करने की सुगमता को वजह बताते थे। साथ ही ये लोग ज्यादातर अमीर लोग ही होते थे। मुंबई की एक इमीग्रेशन कंसल्टेंट फर्म के एक इंप्लॉई के मुताबिक, लोगों का मानना है कि दूसरे देशों की सरकारें उनके पैसों और टैक्स की वैल्यू करेंगी। उन्हें लग रहा है कि अगर अच्छा कमाने के बावजूद उनकी देखभाल नहीं हो पा रही है और अगर सरकार हेल्थकेयर पर खर्च नहीं करना चाहती है तो यहां रहने की कोई वजह नहीं है।​माता-पिता को भारत में अकेले नहीं छोड़ना चाहते विदेश में काम करने वाले सितंबर 2020 में जारी हुए AfrAsia Bank Global Wealth Migration Review के मुताबिक, 2019 में भारत से हाई नेटवर्थ वाले केवल 7000 लोग विदेश जाकर बसे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह आंकड़ा 2021 के आखिर तक बढ़ने वाला है और इस बार इसमें केवल अमीर लोग ही शामिल हों, ऐसा नहीं होगा। ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की प्रेसिडेंट ज्योति मयाल का कहना है कि इमीग्रेशन क्वेरी मुख्य रूप से उन लोगों की ओर से बढ़ रही हैं, जो खुद विदेश में काम करते हैं और उनके माता-पिता भारत में अकेले रह रहे हैं।


Source: Navbharat Times May 27, 2021 08:03 UTC



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