गहलोत के दोस्त ने ही रोका राजस्थान का कोयला: छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की वजह से गहराएगा बिजली संकट, दिसंबर तक स्टाक बचा - News Summed Up

गहलोत के दोस्त ने ही रोका राजस्थान का कोयला: छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की वजह से गहराएगा बिजली संकट, दिसंबर तक स्टाक बचा


Hindi NewsLocalRajasthanCoal Running Out In Rajasthan's Mine, Chhattisgarh Congress Government Is Not Giving Approval For Mining In The New Areaगहलोत के दोस्त ने ही रोका राजस्थान का कोयला: छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की वजह से गहराएगा बिजली संकट, दिसंबर तक स्टाक बचाकोयले की खान को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आमने-सामने हो गए हैं। दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, लेकिन मुसीबत के दौर में एक राज्य दूसरे की मदद को तैयार नहीं है। वजह है गहराता बिजली संकट। राजस्थान को छत्तीसगढ़ में अलॉट पारसा कोल ब्लॉक खान में माइनिंग के लिए छत्तीसगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। इस वजह से दोनों सरकारों के बीच तनाव बढ़ गया है।कोयला संकट के दौर में मुख्यमंत्री गहलोत ने हाईलेवल की बातचीत कर 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से इस खनन के लिए क्लीयरेंस जारी करवाई थी। इससे पहले वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से 21 अक्टूबर को ही क्लीयरेंस ले ली गई। दो केंद्रीय मंत्रालयों से राजस्थान 15 दिनों में दो महत्वपूर्ण क्लीयरेंस लेने में सफल रहा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने क्लीयरेंस फाइल अटका दी है।मुख्यमंत्री गहलोत ने हाईलेवल की बातचीत कर 2 नवंबर को कोल मिनिस्ट्री से परसा कोल ब्लॉक में खनन के लिए क्लीयरेंस जारी करवाई थी।स्थानीय दबाव में छत्तीसगढ़ सरकार ने रोकी मंजूरीछत्तीसगढ़ में अलॉट परसा कोल ब्लॉक में अब तक हुए खनन से कोयला खत्म होने की कगार पर है। सूत्र बताते हैं कि खान में मौजूद कोयले से दिसम्बर महीना ही निकल सकता है। कोल ब्लॉक परसा से माइनिंग की केन्द्रीय कोयला मंत्रालय और केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने तो क्लीयरेंस दे दी, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अंतिम स्वीकृति अटका दी है। ऐसे में राजस्थान अपनी ही कोयला खान से माइनिंग नहीं कर पा रहा है। सूत्रों के मुताबिक कोल ब्लॉक की जमीन छत्तीसगढ़ के वन विभाग क्षेत्र में आती है। आदिवासी क्षेत्र में कुछ स्थानीय नेताओं और लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वोट बैंक को देखते हुए छत्तसीगढ़ सरकार मंजूरी नहीं दे रही है।सीएम गहलोत ने चिट्ठी भी लिखीमुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को पत्र लिखकर जरूरी स्वीकृतियां जारी करने का आग्रह भी किया है। इस चिट्‌ठी पर अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है। राजस्थान के एनर्जी डिपार्टमेंट के एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और एनर्जी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन के अफसर भी छत्तीसगढ़ सरकार के आला अफसरों से लगातार सम्पर्क कर जल्द स्वीकृति जारी करने की कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन अब तक छत्तीसगढ़ सरकार टस से मस नहीं हुई है। खनन के लिए जरूरी स्वीकृतियां जारी नहीं की गई हैं।परसा कोयला खदान इलाके में स्थानीय विरोध की वजह से खनन की अनुमति नहीं दी जा रही है।राजस्थान के लिए लाइफ लाइनकोयला की कमी से बिजली संकट झेल रहे राजस्थान के लिए यह माइन लाइफ लाइन की तरह है। इस कोल ब्लॉक से रोजाना 12 हजार टन यानी करीब 3 रैक कोयला मिलेगा। मोटे अनुमान के अनुसार यहां से 5 मिलियन टन कोयला हर साल निकाला जा सकेगा। इस नए ब्लॉक से सालाना 1 हजार रैक से ज्यादा कोयला मिलने की संभावना है। अगले 30 साल के लिए 150 मिलियन टन कोयले का भण्डार है। इससे राजस्थान केन्द्र की कोल इंडिया और सब्सिडियरी कंपनियों पर कम निर्भर रहेगा।इस खान के अलावा छत्तीसगढ़ में एक अन्य 1136 हेक्टेयर की फॉरेस्ट लैंड पर माइनिंग के लिए राजस्थान लगातार कोशिशों में जुटा है। केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग और छत्तीसगढ़ सरकार दोनों से क्लीयरेंस मिलने के बाद वहां भी माइनिंग शुरू हो सकेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने फेज-2 के लिए भी अब तक कोई एक्शन नहीं लिया है।


Source: Dainik Bhaskar November 24, 2021 11:15 UTC



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