Haryana assembly Election 2019: तो मतदाताओं का स्थायी सरकार की ओर रहा रुख, दिए बड़े संकेत - News Summed Up

Haryana assembly Election 2019: तो मतदाताओं का स्थायी सरकार की ओर रहा रुख, दिए बड़े संकेत


चंडीगढ़, जेएनएन। Haryana Assembly Election 2019 के लिए मतदान के बाद संकेत हैं कि हरियाणा एक बार फिर स्थायी सरकार की ओर बढ़ रहा है। प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों पर सोमवार को हुए मतदान के बाद जनता-जनार्दन के रुख से कुछ ऐसे ही संकेत मिले हैं। मतदान के बाद विभिन्‍न टीवी चैनलों व एजेंसियों के Exit Polls में भी यही संकेत मिले हैं कि जनता कोई अन्‍य प्रयोग करने के मूड में नहीं थी और उसने स्‍थायी सरकार के लिए मतदान किया।मतदान के आरंभ में कम मतदान ने हालांकि राजनीतिक दलों की धुकधुकी बढ़ा दी, मगर जैसे-जैसे मतदान प्रक्रिया पूरी होने का समय आया, वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी ने राजनीतिक दलों खासकर भाजपा की उम्मीदों का ग्राफ बढ़ा दिया। राज्य भर से मिले रुझान और एक्जिट पोल के आधार पर कहा जा रहा है कि भाजपा हरियाणा में दोबारा सरकार बनाने जा रही है। भाजपा नेताओं को सीटों में आश्चर्यजनक ढंग से इजाफा होने की उम्‍मीद है, वैसे इसी तरह की उम्मीद कांग्रेस व जजपा को भी है।भाजपा की सीटों में आश्चर्य ढंग से इजाफा होने की उम्मीदप्रदेश में इस बार 2019 के चुनाव नतीजे 2014 के चुनाव परिणाम से काफी भिन्न रहने वाले हैं। 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय करने वाली भाजपा के सामने कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी ने यह चुनाव पूरी शिद्दत के साथ लड़ा। हरियाणा कांग्रेस के नेतृत्व में हुए बदलाव के बाद हुड्डा और सैलजा की जोड़ी ने जीरो से शुरू किया तो यही स्थिति दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी के सामने रही। इनेलो में हुए बिखराव के बाद जजपा का यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसके नतीजे दुष्यंत चौटाला को हरियाणा की राजनीति में स्थापित करने वाले साबित हो सकते हैं।2014 के विधानसभा चुनाव की अगर बात करें, तब भाजपा ने 47 सीटें जीती थी। उस समय भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। 10 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस को मात्र 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। उस समय 15 साल से सत्ता की बाट जोह रहे इनेलो के खाते में उस समय 19 सीटें आई थी। इन पांच सालों में भाजपा ने खुद का ग्राफ बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। कांग्रेस पूरे पांच साल फूट का शिकार रही।अशोक तंवर के स्थान पर कुमारी सैलजा को अध्यक्ष तथा हुड्डा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने का फैसला काफी देर से हुआ। भाजपा को इसका लाभ मिला। ताऊ देवीलाल के परिवार में राजनीतिक विघटन के बाद अभय चौटाला और दुष्यंत चौटाला की अलग-अलग राजनीतिक राहों का नुकसान इस परिवार को उठाना पड़ा। इसके बावजूद हुड्डा, सैलजा व दुष्यंत ने चुनाव के रण में एक शानदार योद्धा के रूप में अपना बेस्ट देने की पूरी कोशिश की।यह भी पढ़ें: Haryana Election 2019 Exit Poll एक्जिट पोल में भारी बहुमत से भाजपा वर्करों में जश्‍न, राज्‍य में 68.30 फीसद मतदानचुनावी रुझान के आधार पर सैलजा, हुड्डा व दुष्यंत तीनों को अपनी-अपनी पार्टियों की सरकार बनने की आस है, लेकिन इसके लिए बताया जा रहा नंबर गेम ऐसा है कि फौरी तौर पर उस पर यकीन करना वाजिब नहीं है। आरंभ में जब शहरी क्षेत्रों में कम मतदान हुआ, तब लग रहा था कि भाजपा को अपना लक्ष्य साधने में दिक्कत आ सकती है। लेकिन, शाम के वक्त जिस तरह मतदान में तेजी आई और गांवों के साथ-साथ शहरों में भी मत प्रतिशत बढ़ा (हालांकि पिछले सालों जितना नहीं), उससे भाजपा की उम्मीदों को पंख लगते दिखाई देने लगे। इस बार के चुनाव में अभय सिंह चौटाला की इनेलो, गोपाल कांडा की हलोपा और सुखबीर बादल की शिरोमणि अकाली दल का खाता खुलने की संभावना भी जताई जा रही है।पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंहरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंयह भी पढ़ें: Haryana Assembly Election 2019 Hot Seat इन पर लगीं सबकी निगाहें, जानें कहां है हॉट मुकाबलाPosted By: Sunil Kumar Jhaअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Source: Dainik Jagran October 22, 2019 03:48 UTC



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